Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 860
________________ १. शब्दानुक्रमणिका (क) तीर्थकर, प्राचार्य, राजा, श्रावक प्रादि ७००, ७०१, ७२८, ७२८, ७३१, ७३२, ७३४, ७५७, ७५६, ७६०, ७७२, ७७३,७७८, ७८२, ७१३ आचार्य अाम्रदेव-१२७ प्रार्यरक्षित सूरि-५१३, ५८१ आह्लादन महाराजा-२६२, २६३ इन्द्रदिन्न सूरि-५०१, २ इन्द्रदेव सूरि-१२८ उदय प्रभ सूरि-३०२, ५१५, ५५० उ अकलंक देवसूरि-४६८ अकबर-४८७, ४६६, ५८७ अगरचन्द नाहटा-१७२ . . अग्निदत्त-५४८ अजयदेव-४४३, ४४४, ४५० अजितदेव आचार्य-१२६, १२७, ३०८, ३१०, ३१० अजितसिंह सूरि-५४१, ५४२, ५५० अर्जेराज महाराज-२६८ अबुलफतह दाऊदराजा-१६६ अभयदेव सूरि-६५, १०८, ११४ से ११६, ११६ से १२२, १३६, १४६, १४८ से १६१ तक; १९४, १६६, २३६ से २४२, २५१, २५३, २५५ से २५७, २५६, २६५, २७५, ३१५ से ३१७, ३१६ से ३२१, ४५६, ४५६, ४८४, ४६४, ४६८, ५०२, ५४६, ५६३, ५६४, ५६५ अभयसिंह सूरि-५६६, ५६७, ५६८' अमरसागर सूरि-५५१, अमरसिंह सूरि-५६६, ५६८, अमोलक ऋषि जी-७२० अल्लाउद्दीन खिलजी-८१५, उदय वर्द्धन-५०८ उदयसागर सूरि-५५१ उदायन महाराज-४४ उद्योतन सूरि-६६ से १८, १०१, से ११६, १२२, १२४, से १२६, १४१, १४२, २५३, ४६१, ४०४, ४८६, ४६०, ५०२, ५७५, ५३६, ५५०, ५६६, ६०१, ६०२ उद्योत विजय-५८८ उभयप्रभ सूरि-१२४ ऊमण ऋषि-८३ से ५५ एलाचार्य-२४ ऋषि भामा-७८८ . . . प्रांगदसूर-५३१, प्रानन्दपाल १६६, २००, २०५, मानन्दविमल सूरि-११६, ५८१५८२, ५८४, ५८५, ५८६, ६३१ से ६३३, ६९६, . कर्क-कर्कराजा-१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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