Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
________________
८४२ ]
[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-भाग ४
गुण सागर सूरि-५५० गुप्त सूरि-५०५ गोविन्द सूरि-३०, ५४० गोविन्द राज-८१५
कक्कसूरि-५०६, ५०८, ५०६ कडुअाशाह-७८७, ७८८, ७६३, ७६४ कर्ण महाराजा-३७६, ३८१, ३८२ कनका चार्य-५६५ कलश प्रभाचार्य-८३ कल्याण सागरसूरि-५५१ कृष्णजी स्वामी-७५१ कांति विजय-७०३, ७५१ कालिदास-२२३ कीर्तिसागर सूरि-५५१ कुतुबुद्दीन ऐबक-४५३, ४६६ कुन्द कुन्द-२१ से २८, ११४ कुमार गणि-५५६ कुमारपाल राजा-३६६, ३७१, ३७२, ३७२,
३६४ से ४४२, ४४४, ४४६, ५२५, ५२६, ५२७, ५३१, ५५२, ५५४,
५५६ कुमुद चन्द्राचार्य-२८७, २६४, २६५, २६६,
२९८ से ३०६, ३६३, ५४० कुल चन्द्र राजा-२०० कुवलयप्रभ प्राचार्य-७९६, ८०० ८०१,
... ८०६, ८०६, ८०५ . . केशवजी-७०२ केशी प्राचार्य-५०६
चच राजा-६८ चन्द्रदेव सूरि-१२७ चन्द्रप्रभ सूरि-१२८, १८३, १८४, ३०८,
३२२, ३२३, ३२५, ३२८, ३२६, ३३०, ३७५, ५०१, ५३४, ५३५,
८०८, ८१० चांपा श्राविका-५८६ चाचिग श्रावक ३३२, ३३८ चालुक्य राज कर्ण १७५, ३२६, ३३२, ३३६ चालुक्य राजबुक्कराय-३१, ५५, २१६ चालुक्य राज विक्रमादित्य-७८, ७६, ११३ चोलाराज महेन्द्र वर्मन-५२
खेमजी-७२६ खूब चन्द सूरि-७१९
जगच्चचन्द्र सूरि-५७३, ५७४, ५८१, ८४ . जगडूशाह-५६२, ५६३ जगमालऋषि-७०७ जम्वु स्वामी-५०० जय कीर्ती सूरि-५५१ जय केशी-३८०, ३८१ जय केशिदेव-२६४ जय केशरीसूरि-५५१ जयचन्द्र राजा-४५३ जय देवाचार्य-२७०, २७१, ५०१ जयनन्द सूरि-११८, ५०१ जयपाल राजा-८६, १६८, १६६ जयवल्लभ गणि-४६६ जयसिंहाचार्य-१९३, १२८, २७२, ३१५,
३२२, ३२४, ४२८, ४२६, ४८६, ५०७, ५१३, ५१५, ५१६, ५२१, ५२२, ५२४, ५२५, ५३०, ५३३, ५३४, ५४३, ५५०, ५५२, ५५३
गजसेनाचार्य-५६०, ५९१ . गजे-१२३ गण्डरादित्य-३२ गणदिव श्रावक-२४७ गुण चन्द्रगणि-१२० से १२२, २७०, ३७५ गुण चन्द्रसूरि-४५६ गुण निधान सूरि-५५१ गुण रत्न सूरि-१०६, ८१४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880