Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
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शब्दानुक्रमणिका ]
[ ८४५
. ५४५, ५४६, ८०८, ८१०, ८११,
८१२ पार्श्वचन्द सूरि-७६६, ७७५, ७७७, ७७६,
७८२, ७८३, ७८५, ७८८ पुण्य सागर सूरि-५५१ पूर्णचन्द्र द्रोण-१८२
भीमदेव राजा-३०, १७०, १८६, २०१,
३७८, ३६५, ५३२ भूविक्रम श्री वल्लभ सूरि विक्रम-५४ भोजदेवराजा-७६ . भोज राजा-१६१, १६२, १६२
प्रद्योतन मूरि-१२८ प्रद्युम्न सूरि-११८, ११६, १२७, ३३३ प्रभव स्वामी-५०१ प्रभाचन्द्र सूरि-११४, ११५, १४८, १५०,
१५६, १६०, १६१, १६६, १७२, १८६, १६१, ३३२, ४६५, ४६७,
४७१, ४७२ प्रभानन्दसूरि-५१५, ५५०
फाल्गुन मित्र राजा-८६, ८७
वह्न चन्द्रगरिण-२७० विट्टी देव राजा-२१४ विबुध प्रभ सूरि-११८, ११६ बीका मुनि-७०२ बुद्धि सागर सूरि-११५, ११६, १२१, १३५,
१३६, १.३६, १४०, १४१, १४३ से . १४५, २७७, ४५६, ४६५, ४६६, ४६७, ४६८, ४६०, ४६१,
मणि रत्न सूरि-५७३ मणिलालजी-७५१ मंत्रसेन-६०३ मलयगिरि-३११ से ३१४ मलयप्रभ-१२८ मल्लिकार्जुन-४०६ मरुधर केसरी मिश्रीमलजी म०-७२३ महमूद गजनबी-१९८ से २०२, २०६,
४५०, ४५२ महागिरी आर्य-५०१ महामुनिचन्द्र-५५५ महामेघवाहन भिक्षुराय खखिल-५१, ८४ महाराजा वुक्कराय-२१७, २१८, २२३,
२३५ महावीर-२५०, ५४६ महासूरसेन-५७० महासेन-५७१ महेन्द्रप्रभसूरि-५५१ महेन्द्र वर्मन-३४, २२६ माघनन्दी प्राचार्य-३२ माणिक्य मुनि-२६५ माणु श्रावक-२३६ मानतुंग सूरि-१२८, ५०१ मानदेवसूरि-११८, ११६, १२७, ५०१ मानसिंह-५०४ मारसिंह-८४, ९३ मुनिचन्द्र-५५५ मुनिचन्द्र सूरि-३२, १२६, २४६, २४७, ,
२८७, २८६, २६०, २६२, ३०८ से ३१०, ३१५, ३२४, ३२८, ३२६, ५४६, ६००
भट्टोनिक राजा-५३५ भद्रबाहु सूरि-५०१, ५४८ भद्रेश्वर सूरि-३०६ भारणजी स्वामी-७५५ भानुचन्द्र-७०२ भ्रातृचन्द्र सूरीश्वर ७६३ भावसागर सूरि-५२४, ५५० भाव हर्ष गरिण-४८८ भीदाजी स्वामी-७५५
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