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सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ] प्रागमिकगच्छ
[ ५६६ . भी प्रतिमा की प्रतिष्ठा नहीं करवाई गई ? आगमिकगच्छ इस नाम से ही यह अर्थ प्रकट होता है कि केवल आगमों में प्रतिपादित सिद्धान्तों, नियमों और श्रमणाचार का पालन करने वाला गच्छ अथवा श्रमरण समूह। तो ऐसी दशा में क्या आगमिकगच्छ की स्थापना के समय से अर्थात् विक्रम सम्वत् १२१४ से लेकर विक्रम सम्वत् १४५१ तक की २३७ वर्षों की अवधि में प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करवाना आगमिकगच्छ के प्राचार्य अथवा साधु आगमसम्मत नहीं मानते थे ? यह एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसके सम्बन्ध में गहन खोज की आवश्यकता है। आशा है शोधार्थी विद्वान् इस प्रश्न पर प्रकाश डालने का कष्ट करेंगे ।
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