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[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ४
बोधि । तेइ नइ कहइ - तुम्ही ए पृथिवीपति, तुम्ह संघाति विवाद न कीजइ । इम करतांन रहइ तउ तेहनां सजन नई प्रति बोधइ । तेह नुं वायुं न करइ तउ विद्यादिकइ वश्य करइ । इम न रहइ तउ चारित्र मुकी गृहस्थ पर अंगीकार करी नई तिम कर जिम ते राजा न भवति । इम करइ तउ परि प्रवचन नीं प्रथि शुद्ध तिम ते राजा उपाउवु । तेह नइ विषइ चारणक्य नल दाम नुं दृष्टान्त - चारणक्यई नंद नई उथापी चन्द्रगुप्त नइ राजाथापइ । नंद ना जे गोठी, ते चोरी करइ । कोटवाल संघाति मिलि नई पछइ चारणक्यइ नगर मांहिं फिरतइ । नलदाम नुं पुत्र कोंडइ खाधु, ते बाप पासइ प्राव्यु | पछइ नलदाम इं मकोडा सर्व मार्या, बिल खरणी जे अंडा दीठां ते मार्या, अग्नि ते ऊपरि बालिनइ । तेहनइं पूछ्यूँ । पछइ ते कोटवाल था । पछइ तेहनइ चौर मल्या । तेणि वेमासी नइ सर्व नई पुत्र सहित जमावी नइ मार्या । एहवु मस करी नई जिम यथा चाणक्येन नन्दोत्पाटितः, यथा च नलदामदं मंकोडा अनइ चोर समूलं उच्छेद्या तिम प्रवचन द्वेषी राजा नइ मूल थी विरणास | तिहां जे उत्पाटइ, जे वेहनइं साहिज्य द्यइ, जे तेहनइं अनुमोदइ - ते सर्व शुद्धाः । प्रवचन उपघात राखवा नइ काजई ते भरणी न निःकेवल शुद्धिमात्र किन्तु अचिरान्मोक्ष गमनं होइ । इहां दृष्टांत विष्णुकुमार नु जोवु नइ श्री सिद्धांतई इम कह्य, जे राजा नइ मारइ तेह नइ महा मोहनीय कर्म बंधाइ । अनि वृत्ति मध्ये इम कह्य ु – जउ कारण इ परिवार सहित राजान नई मारइ ते शुद्ध अनइ थोड़ा काल मांहिं मोक्ष-ते भरणी डाहु हुइ ते विचारज्यो ||२७||
तथा श्रावश्यक नियुक्ति मध्ये "परिठावरिया समिति" मांहि कहिउं छइ ते यती नइ उतावलु कार्य पडइ तिवारि सचित्त पृथिवी प्रदत्त परिण ग्रहइ ||२८||
तथा कार्य शीघ्र हुइ तिवारइ सचित्त जल प्रदत्त परिण लेवु - एहवा घटता छै अनइ सिद्धान्ते सचित्त जल निषेध्यां छै- ते भरणी डाहु हुई ते विचारज्यो
॥२६॥
तथा कार्य पड़इ तिवारि दीव अरणव, कार्य पूरा थयां पछइ वाटि निचोवी
॥३०॥
इम वायु नुं परिण आरम्भ कहइ -- मसक वायु भरी लीयइ ॥ ३१॥
तथा कारणई ग्लानादिक नई सचित्त कंदादि प्रदत्त लीइ जे आवश्यक नियुक्ति मांहि एहवा प्रयुक्ता बोल छइ, ते चउद पूर्वी नी कीधी किम मानी
॥३२॥
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तथा बली का छइ - कारणइ नपुंसक नइ दीक्षा देवी अनइ अनेरा पाठ भरणाववुळे, अनइ ते भरणइ तिवारि बीजा साधु तेह प्रति झूठ बोलइ – कहि-मे पण इमज भण्यु हतु, इम चोरी राखी नइ तिवारि इम झूठूं बोलइ साधु, पछइ कार्य पूरइ थयइ, बाहिर काढवु । पछइ ते दीवांणइ जाइ, तिवारि झूठ बोलवु कह्य
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