Book Title: Jain Darshan ke Maulik Tattva
Author(s): Nathmalmuni, Chhaganlal Shastri
Publisher: Motilal Bengani Charitable Trust Calcutta
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जैन दर्शन के मौलिक तत्व
आत्मा और परलोक की अन्वेषक परिषद् के सदस्व सर् भोलिबर लॉज ने इस अन्वेषण का मूल्याङ्कन करते हुए लिखा है कि-"हमें भौतिक शान के पीछे पड़कर पारभौतिक विषयों को नहीं भूल जाना चाहिए। चेतन जड़ का कोई गुण नहीं, परन्तु उसमें समायी हुई अपने को प्रदर्शित करने वाली एक स्वतन्त्र सत्ता है। प्राणीमात्र के अन्तर्गत एक ऐसी वस्तु अवश्य है। जिसका शरीर के नाश के साथ अन्त नहीं हो जाता। भौतिक और पारभौतिक संशात्रों के पारस्परिक नियम क्या है, इस बात का पता लगाना अब अत्यन्त आवश्यक हो गया है।"