________________
हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास देकर उसे खरीदने बेचने की व्यवस्था चलाई, इससे देश की भूमि व्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन आया। भारतीय गाँवों की स्थिरता, निरंतरता चौपट हुई और ग्राम समाज का पुराना ढाँचा चरमरा गया। सामाजिक और सांस्कृतिक नीति
धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मामलों में सन् १८१३ तक कम्पनी की नीति गैर हस्तक्षेप की थी। बाद में उनलोगों ने भारतीय समाज और संस्कृति तथा धर्म में दखल देने तथा उसमें अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए सक्रिय कदम उठाया। यूरोप में १८वीं शदी में विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के प्रचार-प्रसार के साथ औद्योगिक क्रान्ति हुई और नैतिक मूल्यों तथा सोच विचार के तौर तरीकों पर नवीन दृष्टिकोण अपनाया जाने लगा। १७८९ में फ्रांन्स की क्रान्ति ने स्वतंत्रता, समता और बन्धुत्व का संदेश दिया जिससे जनतांत्रिक भावना और आधुनिक राष्ट्रीयवादी विचारणा यूरोपीय लोगों में जाग्रत हुई। बेकन, लॉक, बाल्तेयर, रुसो, कांट, ऐथमस्मिथ और बेंथम आदि महापुरूष इस विचारधारा के प्रबल पोषक थे। साहित्य में इसी भाव की व्यंजना वर्डसवर्थ, शैली, बायरन और डिकेन्स आदि रचनाकारो ने किया। यह नया चिंतन और बौद्धिक परिवर्तन फांसीसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति की देन थी। भारतीय जनता के प्रति कम्पनी के अहलकारों का दृष्टिकोण रुढ़िवादि था इसलिए उन्होंने व्यापक पैमाने पर आधुनिकीकरण के बजाय सावधानी और मन्द गति से नया परिवर्तन लाने की नीति का अनुसरण किया लेकिन सन् १८५८ के बाद भारतीयों ने स्ववंत्रता, समता और राष्ट्रीयता के नवीनसिद्धांतों के अनुसार शासन की मांग शुरू कर दी। इससे पूर्व ही विलियम बेटिंग के समय सती प्रथा को रोकने का सफल प्रयत्न हुआ था, लड़कियों की शिशु हत्या रोकने, हिन्दुविधवाओं का पुनर्विवाह करने और शिक्षा के प्रचार की दिशा में भी काफी कार्य आगे बढ़ाया गया था। भारत मंत्री की १८५४ की शैक्षणिक विज्ञप्ति शिक्षा प्रसार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी। इससे देश में नवजागरण की लहर उठने लगी। सन् १८८५ में कांग्रेस की स्थापना हुई और उसने स्वतंत्रता संग्राम छेड़ दिया। नवजागरण और राजा राममोहनराय
प्रायः सभी लोग इस बात से सहमत है कि पश्चात्य प्रभाव और संपर्क के फलस्वरूप भारत में नवजागरण आया। चिंतनशील भारतीयों ने अपने समाज की कमियों को जानने तथा उन्हें दूर करने के तौर-तरीके ढूढ़ने का प्रयत्न प्रारंभ कर दिया। ऐसे लोग मानवतावाद, विज्ञान और विवेक में विश्वास करते थे। इस नये बुद्धिवादी वर्ग में भूमिपति,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org