Book Title: Dharm Deshna
Author(s): Vijaydharmsuri
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (3) . रुचि, एवं विनय, विवेक, गंभीरता एवं व्यवहार कुशलता का सच्चा ज्ञान आपको मातासे ही प्राप्त हुआ। इसके उपरान्त श्रीमान् मुनिराजश्री रत्नविजयजी तथा आष्ठानिवासी यतिनी श्री धनविजयजी से आपने धार्मिक अभ्यास भी किया था / न केवल रट करके ही आपने धार्मिक अभ्यास बढाया, बल्कि-बड़े बड़े मुनिराजों के व्याख्यान श्रवण एवं धर्मचर्चाएं करके भी आपने अपने ज्ञान को बढ़ाया। सेठ गोडीदासनी के एक साथी और थे, जिनका नाम था सेठ रतनलालजी तातेड / सेठ रतनआप के साथी। लालनी भी आप ही की तरह ज्ञान-क्रिया . . की अभिरुचिवाले और सच्चरित्रवान् उच्च कोटी के गृहस्थ थे। दोनों की धर्मचर्चाए खूब होती थीं, और इन दोनों के ही डाले हुए धार्मिक संस्कार भोपाल के जैनों में आज भी किसी अंश में पाये जाते हैं। आज कल बहुत से लोग कहा करते हैं कि क्या करें, व्यापार रोजगार, घर सम्हालना, बालबच्चों दिनचर्या / की रक्षा करना, इनमें से हमें फुर्सद ही नहीं मिलती कि-जिससे धर्म क्रियाएं करें। केवल अपनी निर्बलता को छुपाने के लिये ऐसा झूठा बचाव करनेवालों को सेठ गोडीदासजी की दिनचर्या मुंहतोड जबाब देती है / सेठ गोडीदासजी की दिनचर्या इस प्रकार की थीः

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 578