Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ इसी तरह सभी इन्द्रियों के बारे में समझना। सिर्फ द्रव्य इन्द्रियों के बाह्म आकार, प्राणीओं में भिन्न भिन्न तरह से देखने में आते है। जैसे कि हाथी की सूंढ़ वह उसका लंबा नाक है। और मनुष्य का नाक अलग तरह का ही है। और पशुपक्षियों का इससे भिन्न प्रकार का होता है। इसी तरह जीभ के बारे में सर्प- को जीभ में (चारी) फाड है। आंखों में भी किसी की गोल होती है और किसी की लंबगोल होती है। स्पर्शनेन्द्रिय को बाह्य निवृत्ति आकार अलग नहीं है, क्योंकि शरीर और इन्द्रिय अलग-अलग है। और चमड़ी शरीर में गिनी जाती है। बाह्य आकार भिन्न-भिन्न होने पर भी अभ्यन्तर निवृत्ति इन्द्रिय में निम्न मुताबिक सभी प्राणीओं को समान आकार होता है। 1) स्पर्शनेन्द्रिय का - अभ्यंतर आकार अलग, अलग प्रकार का है। 2) रसनेन्द्रिय का - अभ्यंतर आकार क्षुरप (अस्त्रा या खुरपी) जैसा है। 3) घ्राणेन्द्रिय का - अभ्यंतर आकार कदम्ब के पुष्प (वाद्य) जैसाक 4) चक्षुरेन्द्रिय का - अभ्यंतर आकार चंद्र का आकार (कीकी में है) जैसा। 5) श्रोत्रेन्द्रिय का - अभ्यंतर आकार पडघम के जैसा आकार होता है। . इस तरह सभी इन्द्रियों में स्पर्शनेन्द्रिय के 4 भेद और दूसरी इन्द्रियों के पांच-पांच भेद गिनने से बीस भेद, सब मिलाकर 24 भेद होते हैं : - उपकरण - जिह्वेन्द्रिय जिह्वेन्द्रिय द्रव्य जिह्वेन्द्रिय भाव जिह्वेन्द्रिय वित्ति जिह्वेन्द्रिय जिह्वेन्द्रिय ला उपयोग जिह्वेन्द्रिय . बाह्य निवृत्ति जिह्वेन्द्रिय दंडक प्रकरण सार्थ अभ्यंतर निवृत्ति जिह्वेन्द्रिय (25) द्रव्य और भाव इन्द्रिया