Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ 523 (3-4-5 पृथ्वी के) 6 नरक सहित 517 527 303 मनुष्य, 14 नरक, 48 तिर्यंच. 162 आठवे कल्प तक देव। 563 सभी जीव भेद। 563 जीवभेदों की गति-आगति नरक के 14 भेद में आगति 1 पर्याप्त रत्नप्रभा 1 पर्याप्त शर्करा 1 पर्याप्त वालुका 1 पर्याप्त पंकप्रभा 1 पर्याप्त धूमप्रभा 1 पर्याप्त तमः प्रभा 16 से 1 पर्याप्त तमस्तमः (1)7 अपर्याप्त नरक पर्याप्तवत् 25 से 20 से १९से 18 से 17 से 16 से फूटनोट : (१)नरक और देव अपर्याप्त अवस्था में मृत्यु प्राप्त नही करते इसलिए गति के स्थान में शून्य (0) रखा है तथा नरक और देव के भेद में जो अपर्याप्त भेद कहे है वह करण अपर्याप्त समझना लब्धि अपर्याप्त नहीं, शेष सभी भेदों में लब्धि अपर्याप्त जानना। | दंडक प्रकरण सार्थ (109) जीव भेदों की गति - आगति