Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh

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Page 146
________________ 4) पर्वत- पर्वतो की संख्या। 5) कूट- पर्वतों के ऊपर रहे हुए शिखर तथा सिर्फ भूमि पर रहे हुए शिखर / 6) तीर्थ- समुद्रमें उतरने के लिए जो बडे ओवारे उतारा या घाट की संख्या। 7) श्रेणी- वैताढ्य पर्वत के ऊपर विद्याधरों के शहेर (नगर) तथा आभियोगिक देवों के भवनों की श्रेणी। 8) विजय- चक्रवर्ती राजाओं को विजय प्राप्त करने योग्य क्षेत्र। 9) द्रहो- कुंडो, हूदो, -छोटे सरोवर 10) नदीयां- बडी नदीयां, उनसे मिलनेवाली दूसरी छोटी नदीयां / * उपरोक्त दश द्वारों का वर्णन इस प्रकरण में किया जायेगा। १.खंड गाथा:णउअसयंखंडाणं.भरहपमाणेण भाइएलक्खे। अहवाणउअसयगुणं.भरहपमाणंहवइलक्खं|३|| संस्कृत अनुवाद : नवति(त्यधिक)शतंखण्डनांभरतपमाणेनभाजितेलक्षे, अथवानवति(त्यधिक)शतगुणं,भरतपमाणंभवतिलक्षम||३|| अन्वय सहित पदच्छेद भरहपमाणेण लक्खे भाइए,खंडाणंणउअसयं। अहवाणउयसय गुणंभरहपमाणंलक्खं हवइ||३|| * फूटनोट :2) ये 14,56,000 नदीओं में भरत ऐरावत क्षेत्र की 56000 परिवाररूप नदीओं अशाश्वत हैं। और शेष क्षेत्र की सभी नदीयां शाश्वत हैं / भरत-ऐरावत की दो-दो महानदी तो शाश्वत हैं। दूसरे सभी पदार्थ शाश्वत हैं। लघु संग्रहणी सार्थ (129) स्वंह का प्रमाण

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