Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ इस प्रकार हरेक वैताढ्य ऊपर 4-4 श्रेणियां गिनने से कुल 136 एकसो छत्तीस श्रेणियां होती हैं। 8. विजय और 9. हृदों गाथा: चक्कीजेअव्वाइं.विजयाइंइत्थहंतिचउतीसा। महद्दह छप्पउमाई, कुरुसुदसगंतिसोलसगं॥२०॥ संस्कृत अनुवाद : चक्रिजेतव्या विजया अत्र भवन्ति चतुस्त्रिंशत्। महाद्रहाःषइपद्मादयःकुरुषुदशकमितिषोडशकम्॥२०॥ अन्वय सहित पदच्छेद इत्थचक्कीजेअत्वाइंविजयाइंचउतीसाहुति। पउम आईछ महद्दह कुरुसुदसगंइति सोलसगं॥२०॥ शब्दार्थ :चक्की- चक्रवर्ति को जेअव्वाइं-जीतने योग्य क्षेत्र विजयाई-विजय कहलाती है इत्थ- यहां, जंबुद्वीप में मह- महान, बडा दह- द्रह, सरोवर, हृद प्पउमाई- पद्मसरोवर आदि कुरुसु- कुरुक्षेत्र में (देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्र) दसगं- दस सरोवर है इति- इस प्रकार सोलसगं- सब मिलकर सोलह गाथार्थ : यहां चक्रवर्ति को जीतने योग्य चौंतीस विजय हैं। पद्मसरोवरादि छह बडे सरोवर हैं और कुरुक्षेत्र में दस इस तरह सोलह 16 सरोवर हैं। | लघु संग्रहणी सार्थ (164) विजय औट हृदों