Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh

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Page 188
________________ शब्दार्थ :-- कुरुमज्झे-कुरु (उत्तरकुरु) क्षेत्र में / बत्तीसाण नईणं- बत्तीस-नदीओं चउससी- चौरासी सहस्साइं- हजार सहस्साइं-हजार पत्तेअं-प्रत्येक, हरेक गाथार्थ : कुरु में चोरासी हजार (84000) तथा सोलह विजय की बत्तीस नदीयों की हरेक को चौदह-चौदह हजार नदीयां है। विशेषार्थ :कुरु में नदीयों का परिवार तथा विजयों में नदीयों का परिवार : सीतोदा - 84000 + 16 X 2= 32 X 14000 = 448000 / 84000 + 448000 = 532000 = कुल परिवार सीतोदा नदी निषध पर्वत के तिगिच्छ सरोवर में से निकलकर सीतोदा के प्रपातकुंड में गिरकर देवकुरु में से बहती हुई मेरु के पास मोड लेकर देवकुरु में 84000 नदियों के परिवार के साथ तथा 16 पश्चिम विदेह की हरेक विजय की दो-दो नदिओं का परिवार तथा 6 अंतरनदी का परिवार कुल मिलाकर 532000 परिवार के साथ पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई लवणसमुद्र में मिलती है। 84000 + 448000 + 6 = 532006 / ...' सीता नदी :- इसी तरह सीता नदी नीलवंत पर्वत के केसरि हृद (सरोवर) में से निकलकर सीता प्रपातकुंड में गिरकर उत्तरकुरु क्षेत्रमें बहती हुई मेरु के पास मोड लेकर उत्तरकुरु में - 84000 नदीयों के परिवार के साथ और 16 पूर्व विदेह विजय की दो मुख्य नदीयों का परिवार 2 414000 = 28000 x 16 = 448000 / 16 X 2 = 32 नदीयां x 14000 = 448000 तथा + 6 अंतरनदी ये सब मिलकर 84000 + 448000 + 6 = 532006 परिवार के | लघु संग्रहणी सार्थ (171) महाविदेह क्षेत्र की नदियां

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