Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ अन्वय सहित पदच्छेद परिही तिलक्खसोलससहस्सयदोसयसत्तवीस अहिया तिगकोससयअट्ठावीसंधणुअद्धसहियंतेर अंगुल || 63242 +2 63244 X10 179776 16227.9 105409 1438208 632440 =632447 632454 (ध्रुवभाजक) 67891 . 2 135782 30373 ,30373 आधा अंगुल 13 // - 10540941 - 105409 1105409 भाषा 105409 इस तरह मूल गाथा में है। परन्तु नीचे के प्रमाण अनुसार शेष का गणित करने पर अंत में 54 शेष आता है। 30373 x 8 = यव, शेष x 8 = युका, शेष x 8 = लिख, शेष x 8 = वालाग्र, 105409 शेष x 8 = रथयेणु, शेष x 8 = त्रसरेणु, शेष x 8 = व्यावहारिक बादर परमाणु, शेष x 174 = सूक्ष्मखंड बादर परमाणु, शेष x 361 = सूक्ष्मतरखंड बादर परमाणु, शेष 54 यो. गाऊ धनुष अंगुल यव युका लिख 316227 3 128 13 / / 1 1 1 वालाग्र रथरेणु त्रसरेणु बादर परमाणु 6 सूक्ष्मखंड बादर परमाणु सूक्ष्मतरखंड बादर परमाणु शेष 30(174 भाग के) 3(174 x 361) 54 इस प्रकार परिधि का सूक्ष्म गणित हैं। | लघु संग्रहणी सार्थ (138) जंबूद्वीप की परिधि