Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ विचित्र पर्वत तथा दो यमक, (समक) पर्वत हैं। दो सो कंचनगिरि, चार गजदंत पर्वत, 1 मेरू पर्वत, छ वर्षधर पर्वत हैं। सब मिलाकर दो सो उनसत्तर (269) पर्वत होते हैं। विशेषार्थ वासक्षेत्र | वर्षधर पर्वत आकार स्पर्श प्रमाण 1. भरत रोटी की टूटी तीन बाजु 526),. योजन हुई किनारजैसा लवणसमुद्र क्षुल्लहिमवंत पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम 105212/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र 2. हिमवंत पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम | 2105 /... लंबा चोरस लवणसमुद्र महाहिमवंत पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम 42102,." लंबा चोरस लवणसमुद्र 3. हरिवर्ष पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम |84211/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र निषध पलंग जैसा |पूर्व- पश्चिम |16842 2/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र 4. महाविदेह . पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम |33684/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र ... नीलवंत पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम 16842 2/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र 5. रम्यक् पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम |84211/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र पलंग जैसा पूर्व- पश्चिम |42100/.." लंबा चोरस लवणसमुद्र | लघु संग्रहणी सार्थ (143) वासक्षेत्र और पर्वत रुक्मि