Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ शब्दार्थ :हिम- हिमवंत पर्वत ऊपर सिहरिसु- शिखरी पर्वत ऊपर इक्कारस- ग्यारह इय-इस प्रकार से सव्व-सर्व, कुल धणं- धन, संख्या सय- सो इगसट्ठी-एकसठ गिरिसु- पर्वतो के ऊपर कूडाणं- कूटों की, शिखरों की एगत्ते- एकत्र करने पर चउरो-चार सत्तसट्ठी- सडसठ य- और गाथार्थ ___ सोलह वक्षस्कार पर्वतों में हरेक पर्वत के चार-चार शिखर है। सौमनस और गंधमादन के सात-सात शिखर है, तथा रक्मि और महाहिमवंत पर्वत के आठ-आठ शिखर हैं। // 13 // ____ चौतीस वैताढ्य पर्वत, विद्युत्प्रभ, निषध, नीलवंत तथा माल्यवंत और मेरु पर्वत, इन हरेक पर्वत पर नव नव शिखर हैं // 14 // हिमवंत और शिखरी पर्वत पर ग्यारह-ग्यारह शिखर है। इस तरह एकसठ (67) पर्वत पर कूटों अर्थात् शिखरों की संख्या मिलाने से चार सो सडसठ (467) होती है // 15 // विशेषार्थ : शिखरों का विशेषार्थ : कोष्टक में देखें। | लघु संगही सार्थ (153)