Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ 63 + 63 + 64. = 190 खंडो - 1,00,000 लाख योजन इस तरह खंडों की संख्या, क्षेत्रों और पर्वतों के अनुसार समझना। योजन प्रमाणखंड गाथा : जोयणपरिमाणाई,समचरंसाइंइत्थखंडाइं। लक्खस्सयपरिहीए, तप्पायगुणेयहुंतेव||६|| संस्कृत अनुवाद :योजनप्रमाणानिसमचतुरसाण्यत्रखण्डानि लक्षस्यचपरिधेस्तत्पादगुणितेच भवन्न्येव॥६॥ अन्वय-सहित पदच्छेद इत्थजोयण परिमाणाइंसमचउरंसाइंखंडाइं। यलक्खस्सपरिहीए. तप्पायगुणे हुंति एव||६|| शब्दार्थ :परिमाणाइं- प्रमाणवाले समचउरसाई- समचोरस इत्थ- यहां, जंबुद्वीप में लक्खस्स-लाख योजन के परिहीए- परिधि को . तप्पाय- उसके चौथे भाग से गुणे- गुणाकार करने पर गाथार्थ : यहाँ लाख योजन की परिधि को उसके पा भागे गुणने पर योजन प्रमाण के समचोरस खंड होते है। નિષ્ણુ મંast માર્થ (13) ગંતૂલીવ છે ભાંકો