Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
View full book text ________________ 48 तिर्यंच के सर्व भेद 50 15 कर्म. मनुष्य 30 अकर्म. के युगलिक मनुष्य, 5 ग.पर्या.तिर्यंच .. 102 10 भवनपति, 15 परमाधामी, 16 व्यंतर, 10 तिर्यग् जुंभकदेव ये 51 देव पर्याप्त और 51 अपर्याप्त मिलकर 102 / ये पातालवासी 51 देव के भेद जानना। 111 101 ग.पर्या. मनुष्य, 10 पर्या, तियेच पंचेन्द्रिय, (5 ग.५ समू.) . 126 102 पातालवासी देव, 20 ज्योतिषी भेद, 2 सौधर्म दो पर्या. अपर्याप्त, 2 सौधर्म किल्बिषिक पर्या. अपर्याप्त 128, 126 उपरोक्त तथा 2 इशान पर्या. अपर्या. देव 171, 30 कर्म. मनुष्य (15 पर्या.१५ अपर्या) 101 समू.मनुष्य 40 तिर्यंच, (4 अग्निंकाय और 4 वायुकाय के भेद बिना) 179 30 कर्म. मनुष्य, 101 समू. मनुष्य और 48 तिर्यंच। / 243 30 कर्म. मनुष्य, 101 समू. मनुष्य और 48 तिर्यच 51 पर्याप्त पातालवासी देव, १०पर्या. ज्योतिषी,२ पर्यां सौधर्म, इशान देव, 1 पर्याप्त सौधर्म किल्बिषिक। 267 30 कर्म. मनुष्य, 101 समू. मनुष्य, 48 तिर्यंच, 81 सहस्रार तक पर्याप्त देव (9-10-11-12 वे कल्प और 14 कल्पातीत ये 18 रहित), 7 पर्या. नरक) 276 30 कर्म. मनुष्य, 101 समू. मनुष्य, 99 पर्याप्तदेव, 6 तमः प्रभा तक (6 पृथ्वी के) पर्याप्त नरक, और 40 तिर्यंच (4 अग्नि-४ वायु रहित) 395 30 कर्म. मनुष्य, 101 समू. मनुष्य, 48 तिर्यंच, 112 अंतर्वीप मनुष्य, 102 पातालवासीदेव, 2 पहेली पृथ्वी के नरक। 517 303 मनुष्य, 4 नरक (पहली 2 पृथ्वी का), 48 तिर्यंच, 162 आठवे कल्प तक (पर्या. अपर्या.) देव। 519 (तीसरी पृथ्वीका) 2 नरक सहित 517 (फूटनोट पीछे है - साथ में है।) 521 (तीसरी-चौथी पृथ्वी के) 4 नरक सहित 517 / | दंडक प्रकरण सार्थ (108) विस्तार से गति - आगति द्वार
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