Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ विशेषार्थ ___वैमानिको का जघन्य आयु 1 पल्योपम का है यह सौधर्म देवलोक के पहले प्रकार के देवों की अपेक्षा से है। तथा ज्योतिषी का जघन्य आयु पल्योपम का आठवा भाग याने '/, पल्योपम का है वह तारा की देवीओं का है। अन्य ग्रंथों में साधिक 1 पल्योपम याने पल्योपम का असंख्यातवां भाग अधिक एक अष्टमांश पल्योपम कहा है। वह किंचित् अधिकता की यहां विवक्षा नहीं की है। ऐसा जानना। // 24 दंडक में जघन्य आयुष्य॥ 10 पृथ्वीकायादि-अन्तर्मु. 1 व्यंतर-१०,००० वर्ष 10 भवनपति-१०,००० वर्ष 1 वैमानिक-१ पल्यो 1 नरक-१०,००० वर्ष 1 ज्योतिषी-१/८ पल्यो . पर्याप्ति द्वार देवो के 13, ग. तिर्यंच का 1, ग. मनुष्य का 1, और सात नरक का 1 ये 17 दंडक में आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वासोश्वास, भाषा और मन ये छ पर्याप्ति होती है, तथा स्थावर के पांच दंडक में भाषा और मन के बिना 4 पर्याप्ति होती हैं। पर्याप्ति द्वार चालु २०वां किमाहार और २१वां संज्ञि द्वार। गाथा विगले पंच पजती, छदिसिआहारहोइसव्वेसिं पणगाइपएभयणा, अहसन्नितियंभणिस्सामि // 31|| संस्कृत अनुवाद विकले पञ्चपर्याप्तयः, षइदिगाहारोभवतिसर्वेषाम पनकादिपदेभजना, अथसंज्ञित्रिकंभणिष्यामि // 3|| दंडक प्रकरण सार्थ (95) पर्याप्ति किमाहार संज्ञि द्वार