Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ . जघन्य आयुःस्थिति गाथा पुढवाइदसपयाणं अंतमुहुतंजहन्न आउठिई। दससहसवरिसठिइआ भवणाहिवनिरयवंतरिया ||29|| संस्कृत अनुवाद पृथ्व्यादिदशपदाना-मन्तर्मुहूर्तजघन्यायुःस्थितिः। दशसहसवर्षस्थितिका भवनाधिपनैरयिकव्यन्तराः 29|| अन्वय सहित पदच्छेद पुढविआईदस पयाणंजहन्न आउठिईअंतमुहुत्तं। भवणाहिव निरयवंतरिया,दससहसवरिसठिइआ||२९|| शब्दार्थ पुढवाइ-पृथ्वीकायादि दस सहस-दस हजार दस पयाणं-दस पदों का वरिस-वर्ष ___ (10 दंडक पदों का) ठिइआ-स्थितिवाला, आयुष्यवाला अंतमुहूत्तं-अंतर्मुहुर्त भवणाहिव-भवनाधिप, . आउठिई-आयुष्यस्थिति भवनपति गाथार्थ पृथ्वीकायादि दस दंडकों की जघन्य आयुस्थिति अंतर्मुहूर्तकी है, भवनपति, नरक, व्यंतर का दस हजार वर्ष का आयु है। विशेषार्थ यहां पर जो दश पद या दंडक कहे हैं वह पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, गर्भज तिर्यंच और गर्भज मनुष्य ये दंडक प्रकरण सार्थ (13) जघन्य आयुः स्थिति