Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ दश जानना, इनका जघन्य आयुष्य अंतर्मुहूर्त का है। आगे भी जहां-जहां दस पद कहा जाय वहां वहां यही दस पद समझना। व्यंतर, पहली नरक और भवनपति का दस हजार वर्ष का जघन्य आयु है। आयु:स्थिति चालु, १९वां पर्याप्ति द्वार। गाथा वेमाणिय-जोइसियापल्ल-तयद्वंस आऊआहुति। सुरनरतिरिनिरएसुछपज्जत्तीथावरे चऊगं, ||30|| संस्कृत अनुवाद वैमानिकज्योतिष्काः, पल्यतदष्टांशायुष्काभवन्ति सुरनरतिर्यगनैरयिकेषुषट्पर्याप्तयःस्थावरे चतुष्कम् // 30 // अन्वय सहित पदच्छेद वेमाणिजोइसिया पल्ल-तय अट्ठअंस-आऊआहुति सुरनर तिरिनिरएसुछपज्जती,थावरे चऊगं॥३०॥ शब्दार्थ पल्ल-१ पल्योपम आउआ-आयुष्यवाले तय-उसका (पल्योपमका) | हुंति-होते है अटुंस-आठवां भाग चउगं-४ पर्याप्ति पाथार्थ वैमानिक और ज्योतिषीका अनुक्रमसे पल्योपम और पल्योपमका आठवा भागका आयुवाले होते है। देव, मानव, तिर्यंच और नरक को 6 पर्याप्ति है, स्थावर को 4 पर्याप्ति है। | दंडक प्रकरण सार्थ पर्याप्ति द्वार