Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ शब्दार्थ असुराण-असुरकुमारों का निकाए-निकायो में अहिय-कुछ अधिक बारस-१२ (पल्योपम का असंख्यातवां भाग) | वास-वर्ष अयरं-१ सागरोपम ऊणपण-उनपचास देसूण-कुछ कम (पल्यो दिण-दिन - का असंख्यातवां भाग कम) छम्मासा-छ महिना दु पल्लयं-२ पल्योपम उक्किट्ठ-उत्कृष्ट नव-(नागकुमारादि)नव आऊ-आयुष्य गाथार्थ . उत्कृष्ट आयुष्य-असुरकुमारादि का कुछ अधिक याने पल्योपम का .. असंख्यातवा भाग अधिक एक सागरोपम, नव निकाय में दो पल्योपम में पल्योपम का असंख्यातवां भाग कम इतना आयुष्य है। और विकलेन्द्रिय का अनुक्रम से 12 वर्ष, उनपचास दिन और छ महिने है। विशेषार्थ // 24 दंडक में उत्कृष्ट आयुष्य:स्थिति॥ 1 पृथ्वीकाय 22000 वर्ष 1 व्यंतर -1 पल्योपम 1 अप्काय 7000 वर्ष 1 ज्योतिषी-१ पल्योपम और 1 वनस्पति काय 10000 वर्ष 1 लाख वर्ष 1 वायुकाय-३००० वर्ष 1 असुर-साधिक 1 सागरोपम 1 अग्निकाय-३ दिन 9 भवन-देशोन 2 पल्योपम 1 ग.मनुष्य-३ पल्योपम 1 बेइन्द्रिय-१२ वर्ष 1 ग.तिर्यंच-३ पल्योपम 1 तेइन्द्रिय-४९ दिन 1 वैमानिक-३३ सागरोपम 1 चउरिंद्रिय-६ महिना 1 नरक का-३३ सागरोपम दंडक प्रकरण सार्थ (12) . विरहद्वार