Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ कार्मण 1 तेइन्द्रिय 7 औदारिक 1 चउरिन्द्रिय तेजस कार्मण 1 वायुकाय 7 औदारिक | 1 मनुष्यों / औदारिक, वैक्रिय 15. तिर्यंच | वैक्रिय, तेजस आहारक, तेजस - कार्मण प्रश्न :- एक जीव को एक साथ में कितने शरीर होते हैं ? और वह कब-कब होता है ? उत्तर :- एक जीव को एक साथ में 2 शरीर, 3 शरीर, 4 शरीर होते हैं। और वह इस तरह से होते हैं : 1) तैजस और कार्मण ये दो शरीर जीव को एक भव में से दूसरे भव में . जाते समय होता है। 2) (अ) औदारिक, तेजस, कार्मण ये तीन शरीर लब्धि बिना के मनुष्य, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों को और स्थावर तथा विकलेन्द्रियों को और वैक्रियलब्धि वाले मनुष्य, तिर्यंच और वायुकाय को लब्धि बिना के काल में होता है। (आ) वैक्रिय, तैजस, कार्मण देवों और नरक को सदाकाल होता है। 3) (अ) औदारिक, आहारक, तैजस, कार्मण ये चार शरीर आहारक लब्धिवंत, चौदह पूर्वधर मुनिवरों को होता है। (आ) औदारिक, वैक्रिय, तेजस, कार्मण ये चार शरीर वैक्रिय शरीर रचनेवाले गर्भज तिर्यंच, मनुष्य और वायुकाय को होता है। आहारक लब्धि और वैक्रिय लब्धिवंत मनुष्यों को एक साथ में औदारिक के साथ इन दोनों में से एक ही शरीर होता है। जब आहारक होता है तो वैक्रिय नही, वैक्रिय होता है तब आहारक नही, इसलिए एक साथ पांचों शरीर कभी भी किसी को होते नहीं हैं। दंडक प्रकरण सार्थ (44) शरीर और अवगाहना द्वार