Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ दूसरे ३-ग्रैवेयक में 1 लाख वर्ष के अंदर तीसरे 3 ग्रैवेयक में 1 करोड साल के अंदर चार अनुत्तर में पल्योपम का असंख्यातवा भाग, सर्वार्थसिद्ध विमान में पल्योपम का संख्यातवा भाग का उत्कृष्ट विरह काल है। और सभी का जघन्यसे विरह काल एक समय का है। गर्भज तिर्यंच में 12 मुहूर्त का उत्कृष्ट विरह काल है। गर्भज मनुष्य में 12 मुहूर्त, 5 एकेन्द्रिय में विरहकाल नहीं है, 3 विकलेन्द्रिय में प्रत्येक में एक-एक मुहूर्त का विरह काल है। सभी का जघन्य विरह काल एक समय का है। // 24 दंडक में स्थिति द्वार॥ १८वे स्थिति द्वार में पृथ्वीकाय का 22000 वर्ष का आयुष्य कहा है वह बादर पर्याप्त खर पृथ्वीकाय के जो रत्न, मणि आदि का जानना ये रत्न, मणि आदि नक्कर पृथ्वीकाय के जीव विशेष प्रकार के निराबाध स्थान में रहे हो तो इतने वर्ष तक जीवित रहते है और (१)दूसरे पृथ्वीकाय के जीवों का आयुष्य उनसे कम कम अनेक प्रकार से जानना। * इस प्रकार बादर पर्याप्त अप्काय, वायुकाय, और प्रत्येक वनस्पतिकाय का क्रमानुसार 7000, 3000 और 10000 वर्ष का आयुष्य है ये भी विशेष प्रकार के निराबाध स्थान में रहे हुए स्थिर अपकायादि का जानना। गाथा तिदिणग्गि, तिघल्लाउनरतिरि,सुरनिरयसागर तित्तीसा वंतरपलं, जोइस-वरिसलवखाहियंपलियं॥२७॥ फूटनोट : - (1) जैसे कि :- सुवर्ण का 10000 वर्ष, खडी का 12000 वर्ष, रेती का 14000 वर्ष, मणसिल का 16000 वर्ष, कंकर का 18000 वर्ष इत्यादि आयु निराबाधस्थान में रहे हुए सुवर्ण आदि का है। दंडक प्रकरण सार्थ (89) विरहद्वार