Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
View full book text
________________ विशेषार्थ : गर्भज तिर्यंचों की उत्कृष्ट शरीर एक हजार योजन कहा है वह ढाईद्वीप के बाहर रहा हुआ अंतिम स्वयंभूरमण समुद्र में रहनेवाले महामत्स्यरूप जलंचर जीवों का है। दूसरे तिर्यंचो का शरीर प्रमाण अन्य शास्त्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार से कहा है। ___ (1) वनस्पति का शरीर 1000 योजन से भी अधिक कहा है वह समुद्रों में उत्सेधांगुल प्रमाण से 1000 योजन के गहरे स्थान में (गोतीर्थादि स्थानों में) रहे हुए कमल आदि वनस्पति का है। सभी समुद्र प्रमाणांगुल से 1000 योजन गहरे हैं। समुद्रों में जो जो स्थान उत्सेधांगुल प्रमाण से 1000 योजन की गहराई हो और वहां जो जो कमलादि वनस्पति है वह 1000 योजन अवगाहनावाली समझना। दूसरे स्थान में (इनसे ज्यादा गहराई वाले स्थान में) कमलादि वनस्पति है वह सही वनस्पति नहीं है क्योंकि वहां आकार - वनस्पति का है लेकिन जीव पृथ्वीकाय के हैं। (1) - मनुष्यों का शरीर 3 गाऊ का है। वह देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्र के युगलिक मनुष्य को जानना, जो 3 पल्योपम के आयुवाले भी हैं। दूसरे मनुष्यों का, शरीर प्रमाण उनसे न्यून-न्यून समझना। ___ फूटनोट :- 1) शंका :- यहां पर तात्पर्य है कि समुद्र और नंदिश्वर द्वीप की वावडीयां आदि जलाशयों की गहराई प्रमाणांगुल से 1000 योजन से कुछ ज्यादा है। उत्सेधांगुल से प्रमाणांगुल का माप बहुत बड़ा है। इसलिए वावडिया और समुद्र की गहराई बहत होती है तो बहुत गहरे जलाशयों में उत्सेधांगुल प्रमाण से 1000 योजन रूप अल्प प्रमाण वाली वनस्पति किस तरह रहती है ? समाधान :- बहुत गहराई वाले जलाशयों में भी किसी-किसी स्थानों पर गोतीर्थ जैसे (तालाब की तरह क्रमसर अधिक-अधिक गहराई ढाल पडने वाले) स्थानों में जहां जहां उत्सेधांगुल प्रमाण से 1000 योजन जितनी गहराई, अल्प गहराई होती है, वहां उत्सेधांगुल प्रमाण से 1000 योजन उंचाईवाले कमल आदि वनस्पति हो सकती है। उसमें जल के अंदर की | दंडक प्रकरण सार्थ (50) अवगाहना द्वार |