Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ 15. उपयोग-१२ . 1. साकारोपयोग :- पांच प्रकार की ज्ञानशक्ति और तीन प्रकार की अज्ञानशक्ति का उपयोग करना वह साकारोपयोग 8 प्रकार का है। - 2. निराकारोपयोग :- चार प्रकार की दर्शनशक्ति का उपयोग करना। वह निराकारोपयोग 4 प्रकार का है इस तरह बारह प्रकार का उपयोग है। 16. उपपात एक समय में कितने जीव कौनसे दंडक में उत्पन्न होते हैं। वह उपपात द्वार में कहा जायेगा। और कौनसे दंडक में कहां तक कितने समय तक कोई भी जीव उत्पन्न नहीं होता ? वह विरहद्वार भी अवसर आने पर विवेचन में कहा जायेगा। 17. च्यवन कौनसे दंडक में से एक समय में कितने जीव च्यवन-मरण पाते है ? और कहां तक कोई भी जीव मरता नही? वह च्यवन विरहद्वार भी कहा जायेगा। 18. स्थिति-२ स्थिति का अर्थ है आयुष्य। कौनसे दंडक के जीवों का कितना आयुष्य है ? वह आयुष्य काल का नियम दर्शाना / कम से कम कितना आयुष्य है उसका नियम कहना वह जघन्य स्थिति द्वार और ज्यादा से ज्यादा कितना आयुष्य है वह नियम कहना उत्कृष्ट स्थिति द्वार कहा जाता है। 19. पर्याप्ति-६ पर्याप्ति छ है / आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वासोश्वास, भाषा और मन। जो जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण नहीं करनेवाले हो वह लब्धि अपर्याप्त कहा जाता है और जो जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण करनेवाला ही हो वह लब्धि दंडक प्रकरण सार्थ (36) उपयोग, उपपात, यतता, स्थिति और पर्याप्ति बाट