Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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गुटिका प्रकरणम् ]
पश्चमी भागः
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• शूलेभसिंहनी वटी.
इनमें से १-१ गोली नित्य प्रति प्रातःकाल (र. का. थे. । शूला.)
गायके दूधके साथ सेवन करनेसे १४ दिनमें
दुःसाध्य सूतिका रोग भी नष्ट हो जाता है । रस प्रकरण में देखिये.
पथ्य-केवल दूध भात पर रहना चाहिये श्रीखण्डवटी.
और पानीसे परहेज़ करना चाहिये। प्र. सं. ६१५८ देखिये ।
__श्री मदनानन्दमोदकम्. (७३४२) श्रीफलकुसुमवटिका. प्र. ५४९८ मदनानन्द मोदकम् (१)
देखिये । (र. चं. । स्त्री रोगा.)
श्री मन्मदनमोदकः ककमानं नवकुङ्कुम च
प्र. सं. ५१५९ मदनमोदकः देखिये । रेवाचिनीग्रन्धिकशौण्ठिकृष्णम् । प्रत्येक वर्षद्वयं जातिपत्रं
(७३४३) श्वासकासन्नी वटी. खण्डं लवङ्ग ह्यपि जातिसस्यम् ॥
(र. र. स. । उ. अ. १३) मिशि वगाजाजि पलप्रमाणं
विश्वादित्रिकनिर्गतद्रवनिशाकीरपियोत्यं दलं प्रत्येकमेतत्सकलैः समानम् ।
नीलग्रीवगलालयं सुरपतेस्तायनेत्राभिधम् । श्री नारिकेलीकलिकाऽतिगूढा
विद्वत्पुञ्जवती कृमिप्रतिभट निर्गुण्डिका वारिणा सम्पर्ध सर्व वटि पूगतुल्या ॥
तुल्यांशाश्चणकप्रमाणवटिकाः सश्वासकासएका प्रगे गोपयसा च पीत्वा
...निकाः॥ पथ्यं च दुग्धोदनवारिवय॑म् ।
सेठ, मिर्च, पीपल, सूखी हल्दी, अनारके दुःसाध्यस्तीगदनाशनाय
पत्ते, शुद्ध बछनाग, चीतामूल, ब्राह्मी और बायबि
डंग समान भाग ले कर चूर्ण बनावें और उसे चतुर्दशाहानि भजेवटीयम् ॥
संभालूके रसमें घोट कर चनेके बराबर गोलियां नवीन केसर १॥ तोला, रेवन्दचीनी, पीपला- बना लें। मूल, पीपल और काली मिर्च २॥-२॥ तोले तथा । । इनके सेवनसे श्वास और खांसीका नाश जावत्री, खांड, लौंग, जायफल, सौंफ, दालचीनी | होता है। और जीरा ५-५ तोले एवं नारियलको बाल कलि- (७३४४) श्वित्रहरी वटी. काएं सबके बराबर ले कर सबका बारीक चूर्ण (र. चि. म. । स्त. ४) करके ( पानीसे घोटकर ) सुपारीके फलके समान अकोल्लं देवदाली च सममेतद्वयं भवेत् । गोलियां बना लें।
भायः कोलसमा कार्या गुटिकास्ताः प्रयोजयेत्॥
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