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अज्ञानतिमिरनास्कर. करा, नारतादि ग्रंथोमें लिखा है. तथा जैपुरमें राजा सवाई जयसिंहने अश्वमेध करा, ए दंतकथा प्रसिइ है. तथा नरुचमें बलिराजाने दश अश्वमेध यज्ञ करे नस जगें अब लोग स्नान करते है तिसको दश अश्वमेध क्षेत्र कहते है. इसी तरें नत्कंठ महादेवके पास जाबालि ऋषिने यज्ञ कराया तिस जगाका नाम खैरनाथ कहते है, और तिस जगासें नस्म निकलती है. इसी तरें हिंऽस्तानमें हजारों जगें यज्ञ हुए है. ए वैदिकी हिंसा क्योंकर उिप शक्ति है ? वैदिक यझमें बहुत हिंसा करनी पमती है,इसवातमें कुबनीशंका नही,
जैन धर्मकी प्र- जिस जिस कालमें जैन धर्मकी प्रबलता होती रही बलतासे वेद
साठ है तिस तिस कालमें वैदिक हिंसा बंद होती गई गइ. है और जो जो स्मृति वगैरे शास्त्रोंमें जो कहीं कहीं दयाका विशेष कथन है सो सो दयाधर्मकी प्रबलतासे ऋ. षियोंनेनी जगतानुसार दयाधर्महीकी महिमा लिखी है. वास्तवमें तो ऋषियोंका यज्ञ याजन करना हि धर्मथा. इस कालसें २५० सो वर्ष पहिला जब जैन दयाधर्मीयोंका जोर बढा तब वै. दिकधर्म बहुत लुप्त हो गयाथा. केवल काशी, कनोज, कुरुक्षेत्र, काश्मिरादि स्थानोमें किंचित्मात्र वैदिकधर्म रह गयाथा बाकी सर्वजगें जैन जैन बौधधर्मही फैल रहाथा. पीठे फेर ब्राह्मणोंने कमर बांधके राजायोंकी मदतसे बौधोंको मारपीटके इस देशसें निकाल दिया परंतु जैन धर्मकों ब्राह्मण दूर न कर सके.और देशोंकी अपेक्षा मारवाम, गुजरात, मेवाम, मालवा, दिल्ली, जैपुरके जिल्लेमें अबनी जैनमतके माननेवाले लोग बहुत है. इसवास्ते इन देशोमें ब्राह्मणजी दयाधर्ममें चलतेहै. यानी नहीं करतेहै. और देशोमें अबन्नी यज्ञ होतेहै और श्रोत्रिय ब्राह्मणनी बहुत है. वेदोंका वि- वेद जम्मूलमें एक नहीया अनेक ऋषियो पास भाग.
अनेक मंत्र थे. वे सर्व मंत्र व्यासजीने एकठे करे
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