Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल-जाति
इन अङ्कों से स्पष्ट है, कि अग्रवालों में बालविवाह का काफी प्रचार है । विशेषतया, छः वर्ष से कम आयु के पति तथा पत्नियों की सत्ता बड़ी खेदजनक है । बालविवाह का ही परिणाम है, कि अग्रवालों में बालविधवाओं की भी कमी नहीं है ।
प्रान्त आयु आयु आयु श्रायु
०-६ ७-१३ १४-१६ १७-२३ बंगाल १ ४ ६२ ९० पंजाब १० ३५ ११६ १०१६ राजपूताना ६ २३ ५३ ३३४
विधवाओं की कुल संख्या
११९० २९३८० ९५६४
केवल तीन प्रांतों में तेईस वर्ष से कम आयु की १७५१ विधवाओं का होना खेद की बात है । अग्रवालों में विधवा विवाह का रिवाज नहीं है । पर इसके लिये आन्दोलन जारी है। पंजाब के सुप्रसिद्ध अग्रवाल नेता सर गङ्गाराम ने लाखों रुपयों का दान करके 'विधवा विवाह सहायक सभा' की स्थापना की थी, जिसकी शाखायें अब भारत के सभी प्रान्तों में विद्यमान हैं । इस सभा की तरफ से विधवा विवाह के लिये ठोस कार्य होता है। जो विधवायें पुनर्विवाह न करना चाहें, उनकी सहायता के लिये भी प्रबन्ध किया जाता है | अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा में भी विधवा विवाह का प्रस्ताव पास हो चुका है, और जाति के अनेक नेताओं ने उसका हृदय से समर्थन किया है। विरादरी की कई पंचायतें भी इसके पक्ष में निश्चय कर चुकी हैं । यह सब कुछ होते हुए भी अभी अग्रवालों में विधवा विवाह का प्रचार बहुत कम है।
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