Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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राजा अग्रसेन का काल सेन का समय त्रेता युग के पहले चरण में हो ही कैसे सकता है ? सम्भवतः, भाट शिवकर्ण ने पुरानी अनुश्रुति में 'कलि' को बदल कर भूल से घेता कर दिया होगा।
इस सम्बन्ध में यह भी ध्यान देने योग्य है, कि राजा अग्रसेन सम्बन्धी किंवदन्तियों व कथाओं में नागों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। राजा अग्रसेन का विवाह नाग कुमारी के साथ हुवा था। भारतीय इतिहास में महाभारत के बाद का काल ऐसा है, जब नाग लोगों ने बहुत बड़ी संख्या में भारत पर आक्रमण किया था। राजा जनमेजय ने नागों को परास्त करने के लिये बड़ा भारी प्रयत्न किया था। नाग यद्यपि भारत के मध्यदेश को नहीं विजय कर सके थे, तथापि दक्षिण तथा पश्चिम में उनकी अनेक बस्तियां बस गई थीं। यदि राजा अग्रसेन के समय को कलियुग के प्रारम्भ होने के बाद में राजा जनमेजय के काल के लगभग माना जाय, तो नाग लोगों के साथ अग्रसेन के सम्बन्ध की बात भी बहुत कुछ समझ में आजाती है । नागों के सम्बन्ध में हम अधिक विस्तार से अगले एक अध्याय में विचार करेंगे।
जो बातें हमने लिखी हैं, उनसे भारतीय इतिहास में राजा अग्रसेन के काल के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें मिलती हैं। उनका काल जनमेजय के काल के लगभग है, और अग्रवैश्यवंशानुकीर्तनम् के अनुसार वैशाख पूर्णिमा कलि संवत् १०८ में उन्होंने राज्य त्याग किया था। अगरोहा की प्राचीनता को दृष्टि में रखते हुवे यह तिथि असम्भव कोटि में नहीं कही जा सकती।
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