Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
४७-४९; का किला ४८; का खेड़ा ४८; की प्राचीनता ५२-५७; का बर्नाय्यी द्वारा उल्लेख ५३; के खण्डहरों का हिसार के निर्माण में उपयोग ५४; की तुगलक वंश के शासन में स्थिति ५४, का टॉल्मी द्वारा उल्लेख ५५, की अगारा से एकता ५५-५६; की कुशान साम्राज्य में स्थिति ५६; के समीप अन्य प्राचीन स्थान ५५, ५७; में प्राप्त सिक्के ५६; पर विदेशी आक्रमण १४२, का पतन और अन्त
१४९-१५२ अग्र ६०, ६१ अग्र वंश ६१, ११६ अग्र पुराण ३९ अग्रवैश्यवंशानुकीर्तनम् परिचय ३४-३५ अग्रवाल जाति १७; अग्रवालों की जनसंख्या १२-२०; का
उपनाम 'गुप्त' १८; की आबादी का विविध स्थानों पर अनुपात १९- २०; के भेद २०-२८; की आजीविका २८; में शिक्षितों की संख्या २९; की सामाजिक दशा ३०-३१; में सतियों की पूजा ५७; अग्रवाल जाति की उत्पत्ति ५८-५९; की राजपूतों से उत्पत्ति का मत ८४; में पुरानी राजसत्ता के चिह्न ८७; की आठ मातृकायें १८०; का जैन धर्म में दीक्षित होना ११७; का नागों से सम्बन्ध १२०; में नाग पूजा २२१; के गोत्र
१२५ - १३५; के प्रवर, गोत्र व शाखा १२८ अग्रवाल इतिहास की सामग्री ३३ अग्रवाल महासभा अखिल भारतीय ३१ अग्रचन्द राजा ११८
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