Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास हैं । 'उरुचरितम्' में भी यही लिखा है, कि अग्रसेन की अठारह रानियां थीं और प्रत्येक रानी से तीन तीन लड़के और एक एक लड़की हुई । पर इस ग्रन्थ में इन पुत्र पुत्रियों के नाम नहीं दिये गए। भाटों के गीतों में भी राजा अग्रसेन की अठारह रानियां और बहुत से पुत्र पुत्रियां कही जाती हैं । प्राचीन समय में राजा लोगों में बहुविवाह की प्रथा प्रचलित थी, अतः यह बात कुछ असंम्भव नहीं कही जा सकती ।। ___ अग्रसेन के लड़कों में सब से बड़ा विभु था। महालक्ष्मी के आदेश से जब राजा अग्रसेन ने राज्य का परित्याग किया, तब विभु ही राजगद्दी पर बैठा । अपने पिता के समान विभु भी बड़ा शक्तिशाली राजा हुवा । अग्रवालों में जो यह कथा चली आती है, कि अगरोहा में अगर कोई घर गरीब हो जाता था, तो बाकी सब उसे पांच रुपये नकद और एक ईट सहायता के रूप में देते थे , वह शायद विभु के ही समय की है। 'अग्रवैश्य वंशानुकीर्तनम्' में लिखा है कि जब कोई आग्रेय ( अग्रवाल) मनुष्य दरिद्र हो जाता था, तो उसे विभु की तरफ से एक लाख मुद्रा दी जाती थी। विभु की आयु सौ वर्ष हुई। उसके बाद उसका लड़का नेमिनाथ राजा बना । उसके बाद विमल, शुकदेव, धनञ्जय, और श्रीनाथ क्रमशः राजगद्दी पर बैठे। इन राजाओं के केवल नाम ही मिलते हैं। कोई महत्व की घटना इनके सम्बन्ध में नहीं लिखी गई । ___ श्रीनाथ का लड़का दिवाकर था। इसने पुराने परम्परागत धर्म को छोड़ कर जैन धर्म की दीक्षा ली। जैन अग्रवालों में यह अनुश्रुति
1. Buchanan, Eastern India. Vol. II. p. 465 2.लक्षं ददौ मुद्रां ज्ञातौ दारिद्रयमागते ।
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