Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास २२२ यह बात महत्व की है, कि थानेसर के जिन राजाओं का भारतीय इतिहास में इतना महत्व है, और जिन्होंने कुछ समय के लिये प्रायः सारे उत्तरी भारत को अपने आधीन कर लिया था, वे वैश्य थे। थानेसर करनाल जिले में है, करनाल और थानेसर हिसार व अगरोहा से दूर नहीं हैं । भाटों के गीतों के अनुसार अगरोहा छोड़कर अग्रवालों ने जो प्रारम्भिक बस्तियां बसाई थीं, उनमें ये स्थान अन्तर्गत थे । कोई आश्चर्य नहीं, कि स्थाएवीश्वर के वैश्य राजाओं का-जो उरु चरितम् के शूरसेन की तरह एक अन्य राजा के मन्त्री बन कर फिर स्वयं सर्वेसर्वा हो गये थे--अगरोहा के वैश्य आग्रेय गण के साथ कोई सम्बन्ध हो । ___ मंजुश्री मूल कल्प ने नाग वंश को भी वैश्य लिखा है। भारतीय इतिहास में नाग वंश का बड़ा महत्व है। जायसवाल जी ने इनकी प्रसिद्ध भारशिव वंश से एकता स्थापित की है। नागों का वर्णन इस प्रकार किया गया है
"तब फिर वैश्य वंश का राजा शिशु राज्य करेगा। फिर नागराज नाम का राजा गौड देश का शासन करेगा। उसके समीप ब्राह्मण और वैश्य रहेंगे । नागराजा स्वयं भी वैश्य होंगे और वैश्यों से ही घिरे रहेंगे।"
महासन्य समायुक्तः शूरः क्रान्तविक्रमः ।। ७२१. निर्धास्ये हकाराख्यो नृपतिं सामं विश्रुतम् वैश्यवृत्तिस्ततो राजा महासन्यो महाबलः ।। ७७२ पराजयामास सोमाख्यम् .. .. . . . . . ७१५
मंजुश्रीमूलकल्प पृष्ठ ५३-५४ वैश्यवर्णशिशुस्तदा १७४६ नागराजसमायो गौडराजा भविष्यति
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