Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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संख्या में सिक्ख लोग कतल किये जाते थे । इस बात के उदाहरण मौजूद हैं, कि राजा रतनचन्द ने इसके विरुद्ध प्रयत्न किया और वजीर अब्दुल्ला खां पर उसका जो प्रभाव था, उसे इस्तेमाल कर अनेक सिक्खों की रिहाई का हुक्म प्राप्त किया ।
फरुखसियर के जमाने में हिन्दुओं के ऊपर जजिया कर फिर से लगा दिया गया था । इसका प्रधान कारण इनायतुल्ला खां की नीति थी, जो सैयदों का विरोधी था । हिन्दुओं पर जजिया कर लगने से राजा रतनचन्द बहुत असन्तुष्ट हुवा । वह निरन्तर इसके विरुद्ध यत्न करता रहा, और अन्त में उसे सफलता प्राप्त हुई । सन् १७९९ में फरुखसियर के पतन के बाद जब रफी उद्दरजात मुगल बादशाह बना, तो राजा रतनचन्द के प्रयत्न से जजिया कर हटा दिया गया ।
राजा रतनचन्द के प्रभाव के सम्बन्ध में एक कहानी बड़ी मनोरञ्जक | एक बार की बात है, कि राजा रतनचन्द किसी आदमी को सैयद अब्दुल्ला खां के पास लाया, और उसे काजी के पद पर नियुक्त करने की सिफारिश की । इस पर अब्दुल्ला खां ने पास खड़े हुवे एक आदमी से हंसते हुवे कहा – “अब रतनचन्द काजियों को भी नामजद करने लग
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गया है ।" इस पर एक दरबारी ने उत्तर दिया- " इस दुनिया में रतन चन्द जो कुछ चाहता है, उसे मिला हुवा है। अब उसे दूसरी दुनिया की फिक्र भी करनी ही चाहिये ।" एक दफे शेख अब्दुल अजीज के लड़के फकरुद्दीन खां ने सैयद अब्दुल्ला खां से बातचीत में कहा था"आजकल, तुम्हारी मेहर्बानी से रतनचन्द की वही हँसियत है, जो किसी समय हेमू बनिये की थी । "
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