Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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सुदर्शनी नृपस्तस्य वंशे समभवत् तदा ॥२३ तस्य पत्नीद्वयं जातं सेवती नलिनी नथा । धुरंधरस्तस्य सूनुः सेवतीगर्भसंभवः ॥१४ प्रशस्तपो विद्वांश्च लोकोपकरणे रतः । धुरंधरात् समजनि नन्दिवर्धनस्तदा ॥२५ ततोऽशोकोऽशोकात्तु समाधिरभवत् तदा ।। संसारे महती कीर्तिन प्राप्ता प्रतिष्ठिता ॥२६ पश्चाद् वंशस्य क्षीणत्वं समाधेः क्रमशोह्यभूत् । पारस्परिक द्वेषेण नगरं परितत्यजुः ॥२७ पृथिव्याः भिन्नभागेषु वसतिं परिचक्रतुः । शतानां चैव वर्षागा व्यतीते जनः ॥२८
उसके वंश में सुदर्शन नाम का राजा हुवा, उसकी दो पत्नियां थीं, सेवती और नलिनी । सुदर्शन के सेवती के गर्भ से धुरन्धर पैदा हुवा, वह बड़ा विद्वान् था, उसका रूप बड़ा सुन्दर था और वह सदा संसार के उपकार में व्यापृत रहता था । २३-२५
धुरन्धर का पुत्र नन्दिवर्धन हुवा। उसके अशोक और अशोक का पुत्र समाधि हुवा । इस समाधि ने संसार में बड़ी भारी कीर्ति प्राप्त की । २५-२७
समाधि के बाद क्रमशः वंश में क्षीणता आने लगी। आपस के द्वष से कुछ ने नगर को छोड़ना प्रारम्भ किया, और पृथिवी के विभिन्न भागों में अपनी बस्तियां बसानी शुरू की। २७-२८
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