Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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भाटों के गीत
मंडन नागल जिन्दल गोत्र पंच मन देह बड़ाई ऐरण से ठेरण पति साढ़े सत्रह गोत्र पवित्र नर अग्रवाल सुयश वसो अग्रसेन शुभ नाम अग्रकुल कियो उजागर अग्रवाल भूपाल वैश्य कुल कीर्ति कलाधर शौर्य दया की मूर्ति दीपति बल वैभव के घर पुत्रवान धनवान रहे गोपाल निरन्तर क्षत्रीगण के बीच वैश्य राज स्थापित किया बनियों में वीरता यह जग को दिखला दिया रहे सदा नवनिध उनके पुन्य प्रताप से होय इतिहास प्रसिद्ध अग्रवाल वंश फूले फले बाय बनी चौबीस पात्र छत्तीस बंधाये कूप तेरा सौ साठ ता ऊपर फिरत दुहाई चार किले चौफेर बने षोडस दरबाजे हाट छप्पन हजार बजे छत्तीसों बाजे सवा लाख घर शहर में बसता ऊपर स्थिर रहै राजा अग्र बसायो अग्रोहा एता काम त्रेता किया
अग्रोहा से निकल कर अठारा बास बसाये प्रथम बास हिसार शहर हाँसी बसायो
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