Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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तब उसका हृदय भी पिघल गया । वह अगरोहा पाया। अपने दीवान महिता के साथ उसका भी सच्चा स्नेह था। वह भी निराश होकर प्राणत्याग करने के लिये तैयार हो गया। इन सच्चे प्रेमियों के स्नेह को देख कर गुरु गोरखनाथ वहां आये और उनकी प्रार्थना से शिव और पार्वती वहां प्रकट हुवे। उन्होंने न केवल रिसाल की रक्षा की, पर महिता और शीला को भी पुनरुज्जीवित कर दिया। ___ यह बात बड़े महत्व की है, कि उपर्युक्त कथा के साथ संबद्ध स्थान अब तक अगरोहा में विद्यमान हैं। रिसालू खेड़ा नामक स्थान जो अगरोहा के साथ लगा हुवा है, इसी कथा के साथ संबद्ध है। सती शीला का नाम अग्रवालों में बड़े सन्मान के साथ लिया जाता है। यह निश्चित कर सकना सुगम नहीं है, कि इस कथा में ऐतिहासिक सत्य का अंश कितना है ? पर यह निश्चित है, कि अगरोहा कुशान साम्राज्य के अन्तर्गत था और यह सर्वथा सम्भव है, कि राजा विम कैडफिसस या रिसालू का सम्बन्ध विशेष रूप से अगरोहा से रहा हो। कुशान राजाओं के अनेक सिक्के अगरोहा के खण्डहरों में मिले हैं । इससे यह संभावना और भी पुष्ट होती है।
अगरोहा पर अन्य आक्रमण तोमार व तुअर राजपूतों व गौरी आक्रान्ताओं के हुए । इन पर हम अगले अध्याय में प्रकाश डालेंगे।
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