Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल इतिहास की सामग्री
४५
(५) बौद्ध साहित्य-प्राचीन भारत के गणराज्यों को प्रदर्शित करते हुए हमने बौद्ध साहित्य के अनेक ग्रंथों का उपयोग किया है। साथ ही, 'मञ्जु श्री मूल कल्प' नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ का नागों के सम्बन्ध में तथा अन्य वैश्यवंशों के लिये बड़ा उपयोग है।
(६) कौटलीय अर्थशास्त्र तथा अन्य नीतिग्रन्थ-ये भी प्राचीन गणराज्यों तथा उनके प्रति भारतीय सम्राटों की नीति को जानने के लिये अत्यन्त उपयोगी हैं।
(७) धर्म-सूत्र व स्मृतियां-गोत्र विषय पर विचार करने के लिये हमने इनका बहुत उपयोग किया है।
इनके अतिरिक्त प्राचीन साहित्य के विविध ग्रन्थों, कुछ शिलालेखों तथा अन्य ऐतिहासिक सामग्री का भी स्थान स्थान पर हमने प्रयोग किया है, जिसका उल्लेख व वर्णन करने की यहां कोई आवश्यकता नहीं है। ___ वर्तमान समय में अनेक यूरोपियन लेखकों ने जातियों के सम्बन्ध में बहुत अध्ययन किया है । इन्होंने भारत की विविध जातियों के रीतिरिवाजों, दन्तकथाओं तथा अन्य अनुश्रुति को भी संगृहीत किया है। इस प्रकार के मुख्य ग्रन्थों की सूचि इस पुस्तक के अन्त में दी गई है। रिसले, क्रुक, ईलियट, एन्थोवन, इबट्सन, शैरिङ्ग आदि विद्वानों की पुस्तके अग्रवाल जाति के इतिहास के लिये बड़ी उपयोगी हैं । विशेषतया विवध प्रांतों के अग्रवालों में जो भिन्न-भिन्न रीति-रिवाज व किंवदन्तियां प्रचलित हैं, उन्हें जानने में इनसे बड़ी सहायता मिलती है । सरकार की तरफ से हर दसवें साल जो मर्द मशुमारी होती है, उस में भारत की
For Private and Personal Use Only