Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास ५४ एक है । उसमें लिखा है, कि हिसार फीरोजा के निर्माण में बहुत से पुराने हिन्दू मन्दिरों व इमारतों का मलबा काम में लाया गया था,
और हिसार डिस्ट्रिक्ट गेज़ेटियर में यह ठीक ही लिखा गया है, कि यह मलबा ज्यादा तौर पर अगरोहा की पुरानी ध्वंसावशेष इमारतों से ही लिया गया था । पन्द्रहवीं सदी में अगरोहा बहुत कुछ उजड़ चुका था, इसीलिये इसकी पुरानी इमारतों का मलबा हिसार फीरोजा के बनाने में इस्तेमाल हुआ था । पर अभी इसका पूरी तरह विनाश नहीं हुआ था। अब भी यह एक अच्छी महत्त्वपूर्ण बस्ती थी । यही कारण है, कि भारतीय मध्यकालीन इतिहास के अफ़ग़ान काल में इसकी स्थिति एक जिले ( इकतात ) की थी। तुगलक वंश के शासन में अगरोहा एक जिले का मुख्य नगर ( हेडक्वार्टर ) माना जाता था । अफगान काल के अन्यतम ऐतिहासिक ज़ियाउद्दीन बारनी ने सुलतान फीरोज़ शाह तुग़लक की मुलतान से दिल्ली तक यात्रा का वर्णन किया है। इसमें उसने लिखा है, कि सुलतान अगरोहा में भी ठहरा था। इससे सूचित होता है, कि फीरोज़शाह तुग़लक के समय तक अगरोहा अभी पूरी तरह नहीं उजड़ा था।
मध्यकालीन इतिहास के एक अन्य मुस्लिम यात्री इब्न बतूता ने भी अगरोहा का ज़िक्र किया है । उसे पढ़ने से भी यह ज्ञात होता है, कि अगरोहा का यद्यपि उस समय बहुत कुछ ह्रास हो चुका था, पर अभी
1. Elliot, The History of India. Vol. III. p. 300. 2. Ibid. p. 245.
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