Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास पुराण के अनुसार नाभाग ने एक वैश्य कुमारी के साथ विवाह कर लिया । इसी कारण वह स्वयं भी वैश्य हो गया। उसका लड़का भनन्दन या भलन्दन हुवा । वह एक शक्तिशाली राजा था। मार्कण्डेय पुराण में लिखा है कि उसका चक्र सम्पूर्ण पृथिवी पर अप्रतिहत होकर चलता था और उसका मन कभी अनीति की ओर नहीं जाता था।'' उसका लड़का वात्सप्रिय था । वात्सप्रिय के बाद क्रमशः प्रांशु, प्रजाति और खनित्र हुवे । खनित्र के वंशजों का वृतान्त यहां लिखने की आवश्यकता नहीं । यही प्रसिद्ध वैशालक वंश है, जिसका वर्णन सात पुराणों में मिलता है । पुराणों के अतिरिक्त रामायण और महाभारत में भी इसका उल्लेख हैं। ___ पर 'उरुचरितम्' ने नाभानेदिष्ट, भलन्दन और वात्सप्रिय के वंशजों की एक अन्य शाखा का भी वर्णन किया है. और धनपाल तथा राजा अग्रसेन को इन वंशजों में सम्मिलित किया है। इससे पूर्व कि हम 'उरुचरितम्' के विवरण पर ऐतिहासिक दृष्टि से विचार करें, यह उचित होगा कि उसे हम यहां संक्षेप से उल्लिखित कर दें--
____ संसार में सब से पहले ब्रह्मा उत्पन्न हुवे । उनका लड़का विवस्वान् था। उसके बाद मनु हुवा । सब वर्गों और आश्रमों का संस्थापक मनु ही था,मनु के एक पुत्र और एक कन्या थी। पुत्र का नाम नेदिष्ट और कन्या का नाम इला था । क्षात्रवंशों का प्रादुर्भाव इला द्वारा हुवा । नेदिष्ट के पुत्र का नाम अनुभाग था। उसका पुत्र भलन्दन हुवा । भलन्दन की
I. मार्कण्डेय पुराण १.१.६ । ५
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