Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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राजा अग्रसेन का वंश स्त्री मरुद्वी थी। उनसे वत्सप्रिय उत्पन्न हुवा। वत्सप्रिय का लड़का मांकील था । यह बड़ा विद्वान् और मन्त्रद्रष्टा प्रसिद्ध हुवा । इसी मांकील के वंश में धनपाल उत्पन्न हुवा, जो बड़ा तेजस्वी और प्रतापी था । उसका चरित्र बड़ा ऊँचा था और ब्राह्मणों ने उसे स्वयं राज्य में प्रति ठापित किया था । उसका राज्य प्रतापनगर में था । उसके आठ पुत्र हुवे, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-शिव, नल, नन्द, अनल, कुमुद, कुन्द, वल्लभ और शेखर । उत्कृष्ट ज्ञान के कारण इनमें नल संयासी हो गया। उसने अपनी इच्छा से हिमालय पर्वत में जाकर तपस्या प्रारम्भ की। बाकी सातों पुत्र सातों द्वीपों के स्वामी बने । इन में से शिव जम्बुद्वीप का राजा था। शिव के चार लड़के थे। बड़े लड़के का नाम आनंद था, वह राजा बना और बाकी तीनों योगी हो गये। आनन्द का पुत्र अय हुवा । अय का पुत्र विश्य था, विश्व के समय में वैश्य कुल की बड़ी उन्नति हुई । विश्य के वंश में सुदर्शन पैदा हुवा। उसकी दो रानियां थीं, सेवती और नलिनी । सेवती से धुरन्धर पैदा हुवा । धुरन्धर का लड़का नन्दिवर्धन था। नन्दिवर्धन से अशोक और फिर समाधि पैदा हुवा । समाधि बड़ा प्रतापी राजा था । संसार भर में उसकी कीर्ति प्रसिद्ध थी । उसके बाद वंश में क्षीणता आने लगी । आपस के द्वप के कारण लोग राज्य को छोड़कर बाहर जाने लगे और पृथिवी के भिन्न-भिन्न भागों में बसने लगे। समाधि के वंशजों में आगे चलकर मोहनदास बहुत प्रसिद्ध हुवा। उसका पड़पोता नेमिनाथ था, उसने नयपाल ( नेपाल ? ) बसाया । नेमि का लड़का वृन्द हुवा। वृन्द का लड़का गुर्जर था। उसके वंश में आगे चल कर हरि उत्पन्न हुवा, जिसके
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