Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास १. ग्रीक ऐतिहासिकों ने सैथोई (Yathroi) नाम के एक गणराज्य का वर्णन किया है, जो बड़ा शक्तिशाली राज्य था। यदि क्सैथोई का संस्कृत रूप ढूंढें, तो वह क्षत्रिय बनेगा । कौटलीय अर्थशास्त्र में एक गण व संघराज्य का नाम दिया गया है, जिसे क्षत्रिय लिखा गया है। इसकी गिनती वार्ताशस्त्रोपजीवि राज्यों में की गई है। इस क्सैथोई या क्षत्रिय गण का निवासस्थान मध्य पंजाब में रावी नदी के समीप था, मुख्यतया, उस प्रदेश में जहां आजकल लाहौर
और अमृतसर के जिले हैं। इस प्राचीन गण के वर्तमान प्रतिनिधि सम्भवतः खत्री जाति के लोग हैं, जो मुख्यतया लाहौर और अमृतसर में रहते हैं । कौटल्य ने क्षत्रिय गण को वार्ताशस्त्रोपजीवि कहा है । वार्ता का मतलब कृषि, पशुपालन और वाणिज्य व्यापार से है । पुराना क्षत्रिय गण वार्ताशस्त्रोपजीवि था, अर्थात् वाणिज्य व्यापार के साथ साथ शस्त्रधारण भी करता था । आजकल के खत्री भी मुख्यतया व्यापार करते हैं। राजनीतिक सत्ता नष्ट हो जाने से उनकी शस्त्रोपजीविता प्रायः नष्ट हो गई है, पर वार्तापजीविता अभी जारी है। शस्त्रास्त्र को भी वे लोग पूरी तरह नहीं भूले हैं। मध्यकालीन मुसलिम युग में अनेक खत्री अच्छे ऊँचे राजनीतिक पदों पर रहे । सिक्खों के राज्य में भी उन्होंने अच्छी वीरता प्रदर्शित की। अब भी पंजाब के शासन में उनका अच्छा स्थान है। वार्ताशस्त्रोपजीवि लोगों का क्या रूप था, इसके वे अच्छे उदाहरण हैं।
1. McCrindle-The Invasion of India by Alexander the Great, pp.147,156,252
2. अर्थशास्त्र II,p.378
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