Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का इतिहास
जा सकता है, कि किसी पुराने समय में यह अगरोहा एक समृद्ध तथा विशाल नगर था । खण्डहरों में एक पुराने किले के भी निशान हैं । किला राजा अग्रसेन के ज़माने का प्राचीन दर्शनीय स्थान अ
स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार यह
है | किले के अतिरिक्त अन्य भी कुछ
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के ausहरों में दृष्टिगोचर होते हैं ।
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अग्रवाल लोग इस स्थान को पवित्र मानते हैं । यही कारण है, कि हजारों अग्रवाल यात्री हर साल इन खण्डहरों के दर्शन के लिये जाते हैं । उजड़े हुवे अगरोहा को फिर से आबाद करने के लिये भी प्रयत्न हो रहा है। यात्रियों के ठहरने के लिये धर्मशाला आदि बनाने के लिये तो काम भी शुरू हो चुका
है
अगरोहा के खण्डहरों के विषय में श्रीयुत राजर्स का निम्नलिखित विवरण उल्लेख योग्य है
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“ अगरोहा का खेड़ा - यह खेड़ा ( पुराने खण्डहरों का बड़ा विस्तृत ढेर ) गांव से आधे मील की दूरी पर है । इसने ६५० एकड़ जमीन को घेरा हुआ है। बरसात के कारण खेड़े में अनेक दराड़ें गई हैं, और उनमें अनेक प्राचीन इमारतों की नींव व थड़े नज़र आने लगे हैं। बड़ी बड़ी ईंटें, ऐसी ईंटें जिन पर कारीगरी का काम किया गया है, मूर्तियों के टुकड़े, मनके, मालायें तथा सिक्के - इस जगह से उपलब्ध होते हैं । सन १८८९ में इस प्राचीन स्थान की खुदाई का प्रारम्भ किया गया था । पर उसे जारी नहीं रखा जा सका । जो थोड़ी खुदाई की गई थी, उससे ही मूर्तियों के अनेक टुकड़े और पक्की मिट्टी की बनी हुई बहुत-सी प्रतिमायें प्राप्त हुई थीं। इसमें सन्देह नहीं, कि
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