Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अगरोहा और उसकी प्राचीनता में विद्यमान किले के खण्डहर इन्हीं दीवान नन्नूमल के किले के हैं । पर इससे अगरोहा के खेड़े की प्राचीनता में कोई भेद नहीं पड़ता। यह वस्तुतः दुर्भाग्य की बात है, कि सन १८८९ में इसकी जो खुदाई प्रारम्भ हुई थी, उसे जारी नहीं रखा जा सका । अन्यथा, बहुत-सी उपयागी वस्तुवें उपलब्ध हो सकतीं।
अगरोहा के अतिरिक्त दो अन्य स्थान हैं, जिन्हें स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार अग्रवालों का मूल निवासस्थान कहा जाता है। एक है
आगरा', जो प्रसिद्ध मुग़ल सम्राट अकबर की राजधानी था। दूसरा स्थान आगर है, जो मध्य भारत में उज्जैन से लगभग ४० मील उत्तर पूर्व में स्थित है । बम्बई प्रांत के और विशेषतया गुजरात के अग्रवाल यह मानते हैं, कि वे इस आगर से अन्य स्थानों पर जाकर बसे हैं।' पर ध्यान रखने की बात यह है, कि अगरोहा के अग्रवालों का मूल निवास स्थान होने की बात जहां प्रायः सभी अग्रवालों में प्रचलित है, वहां आगरा और आगर के सम्बन्ध में यह किंवदन्ती केवल स्थानीय है । भाट लोग भी अगरोहा को ही अग्रवालों का आदिम निवासस्थान बताते हैं । इस दशा में दो बातें सम्भव हैं—या तो आगरा और आगर के संबन्ध में यह बात केवल नाम की समता के कारण चली हो और या अग्रवालों ने अगरोहा के बाद ये बस्तियां भी अपने नाम से ही बसाई हो। देर तक कुछ अग्रवाल इन बस्तियों में रहे हों और फिर वहां से भी अन्य स्थानों पर जाकर लोग बसे हों । हमें यह दूसरी बात अधिक सम्भव प्रतीत होती
1. Agra-District Gazatteer. 2. R. E. Enthoven. Tribcs and Castes of Bombay, 1922. Vol. III.
p.426.
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