Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास थे, जो वंशावलियां याद रखते, महत्व की घटनाओं को स्मरण करते और पुराने वृत्तान्त को सुनाया करते थे। सूतों के वर्तमान प्रतिनिधि भाट हैं। विविध राजपूत कुलों के तो भाट होते ही हैं, पर अग्रवालों के भी भाट विद्यमान हैं । वे प्रायः लम्बा पीला चोगा पहनते हैं, और बड़े लहजे के साथ कवित्त सुनाते हैं । इनके गीतों में राजा अग्रसेन तथा अग्रवाल इतिहास के अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के सम्बन्ध में भी बहुत सी बातें मिलती हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से इनका बड़ा उपयोग है । बहुत से भाट मुसलमान हो चुके हैं, पर इससे उनके पेशे में कोई परिवर्तन नहीं
आया, और न ही उनका अपने यजमान अग्रवाल लोगों के साथ सम्बन्ध बदला है । वर्तमान समय में नई परिस्थितियों के कारण भाटों का महत्व बहुत कम हो गया है। पर फिर भी ये लोग अपना वंशक्रमानुगत कार्य करते जा रहे हैं, और उन्हीं की कृपा का यह परिणाम है, कि अग्रवालों के कई परिवार अपनी पचास व उससे भी अधिक पीढ़ी पुराने पूर्वजों के नाम बता सकते हैं । भाटों की वंशावलियों में चाहे कितनी ही अशुद्धियां हों, पर पुराने जमाने में जब पुस्तकों का प्रचार नहीं था, उन्होंने ऐतिहासिक अनुश्रुति को जीवित और जारी रखने के लिये बड़ा उपयोगी कार्य किया। 1. स्वधर्म एव सूतस्य सद्भिः दृष्टः पुरातनैः
देवतानाम् ऋषीणाश्च राज्ञां चामित तेजसाम् । वंशानां धारणं कार्यं श्रुतानाञ्च महात्मनाम् इतिहास पुराणेषु दिष्टा ये ब्रह्मवादिभिः॥
(वायुपुराण १, ३१-३२)
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