Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल इतिहास की सामग्री
विविध कुलों के पूर्वजों के नाम बताने के अतिरिक्त, भाट लोग उस पुराने युग के सम्बन्ध में भी गीत गाते हैं, जब सब अग्रवाल एक जगह पर रहते थे, जब उनका अगरोहा में अपना राज्य था और जब राजा अग्रसेन ने नाग-कन्या से विवाह कर अठारह यज्ञ किये थे । अग्रसेन के पूर्वजों के सम्बन्ध में भी ये लोग वंशावली सुनाते हैं । भाटों के इन गीतों को इकट्ठा करने का प्रयत्न कई सजनों ने किया है। लक्षीराम पुत्र शिवप्रताप ने 'राजा अग्रसेन का जीवन चरित्र' नाम की एक पुस्तिका इन्दौर से प्रकाशित की है, जिसकी भूमिका में वे लिखते हैं—'श्रीमान् राजा अग्रसेन ने अपने भानजे जसराज जी को अपना कुल भट्ट नियुक्त किया था, जैसा कि इस पुस्तक के पाठ से विदित होगा। इनके वंश के भट्ट घनश्याम और तुलाराम जी आदि वासी जसपुर ग्राम जो कि अग्रोहे के खण्डहरों के निकट बसता है, अजमेर आये थे। उनके पास एक अग्रपुराण नामक ग्रन्थ है, जिसमें केवल अग्रवाल जाति ही का पूर्ण रूप से परिचय दिया हुवा है ।” जनवरी सन् १९१२ में इसकी कथा अजमेर में कराई गई और फिर इन्हीं भाटों ने २० अप्रैल सन् १९१९ में अग्रपुराण की कथा इन्दौर में की । यही कथा वक्षीराम जी ने प्रकाशित कर दी है, और इससे हमें वह वृत्तान्त ज्ञात होता है, जो भाट लोग राजा अग्रसेन तथा उनके वंश के सम्बन्ध में सुन ते हैं।
हिसार के श्री० ब्रह्मानन्द ब्रह्मचारी अगरोहा के जीर्णोद्धार के लिये प्रयत्न कर रहे हैं । उन्होंने अग्रवाल-इतिहास सम्बन्धी कई पुस्तकें लिखी हैं। इनमें एक पुस्तक 'श्री विष्णु अग्रसेन वंश पुराण' नाम की है। ' इसमें मूल भट्ट वाणी या भाटों के कुछ गीत भी दिये गये हैं । ब्रह्मचारी
For Private and Personal Use Only