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प्रमेय-खण्ड
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(३) ३. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादवक्तव्य है । (४) ४. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्मा है, और आत्मा नहीं है।
५. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्मा है, (२) आत्माएँ नहीं हैं।
६. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्माएँ (२) हैं, आत्मा नहीं है । (५)७ त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्मा है और अवक्तव्य है।
८. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्मा है और (२) अवक्तव्य हैं ।
६. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्याद् (२) आत्माएँ हैं, और अवक्तव्य है। (६) १०. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्याद् आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है।
११. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्यादात्मा नहीं है और (२) अवक्तव्य हैं।
१२. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध स्याद् (२) आत्माएँ नहीं हैं और अवक्तव्य है। (७) १३. त्रिप्रदेशिक स्कंध स्यादात्मा है,आत्मा नहीं है, और अवक्तव्य है।
गौतम ने जब इन भंगों का योजना की अपेक्षाकारण पूछा, तब भगवान् ने उत्तर दिया कि
(१) १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा के आदेश से आत्मा है । (२)२. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध पर के आदेश से आत्मा नहीं है । (३) ३. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध तदुभय के आदेश से अवक्तव्य है ।
(४) ४. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और देश आदिष्ट है अस- . द्भावपर्यायों से । अतएव त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, और आत्मा नहीं है।
५. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और (२) देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से । अतएव त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है और (२ आत्माएँ नहीं हैं।
६. (दा) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से और देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से। अतएव त्रिप्रदेशिक स्कन्ध (दो) आत्माएँ हैं और आत्मा नहीं है।
(५) ७. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से और देश आदिप्ट है तदुभयपर्यायों से । अतएव त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है और अवक्तव्य है।
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