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हेतु चर्चा :
स्थानांगसूत्र में हेतु के निम्नलिखित चार भेद बताए गए हैं*४. १. ऐसा विधिरूप हेतु जिसका साध्य विधिरूप हो । २. ऐसा विधिरूप हेतु जिसका साध्य निषेधरूप हो ३. ऐसा निषेधरूप हेतु जिसका साध्य विधिरूप हो । ४. ऐसा निषेधरूप हेतु जिसका साध्य निषेधरूप हो ।
स्थानांग निर्दिष्ट इन हेतुओं के साथ वैशेषिक सूत्रगत हेतुओं की तुलना हो सकती है—
वैशेषिक सूत्र
संयोगी, समवायी, एकार्थ समवायी ३.१.६ भूतो भूतस्य - ३.१.१३
भूतमभूतस्य - ३.१.१२ अभूतं भूतस्य ३.१.११ कारणाभावात् कार्याभाव: १.२.१
आगे के बौद्ध और जैन दार्शनिकों ने हेतुओं को जो उपलब्धि और अनुपलब्धि ऐसे दो प्रकारों में विभक्त किया है, उसके मूल में वैशेषिक सूत्र और स्थानांगनिर्दिष्ट परम्परा हो, तो आश्चर्य नहीं ।
स्थानांग हेतु-साध्य १. विधि - विधि
२. विधि - निषेध ३. निषेध - विधि ४. निषेध - निषेध
औपम्य चर्चा:
अनुयोगद्वार - सूत्र में औपम्य दो प्रकार का है- १. साधर्म्यापनीत २. वैधर्म्यापनीत ।
साधम्र्योपनीत तीन प्रकार का है१. किञ्चित्साधर्म्यापनीत |
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प्रमाण - खण्ड १५६
२. प्रायः साधर्म्यापनीत | ३. सर्वसाधर्म्यापनीत ।
"अहवा हेऊ चउव्विहे पनते तं जहा - प्रत्थित्त प्रत्थि सो हेऊ १, प्रत्थित्त ऊ २, णत्थितं प्रत्थि सो हेऊ ३, णत्थित्तं णत्थि सो हेऊ
।"
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