Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 24
________________ द्रौपदी का स्वयंवर संकल्प-पद द्वारवती के लिए दूत प्रेषण-पद कृष्ण का प्रस्थान- पद हस्तिनापुर दूत-प्रेषण पद दूत-प्रेषण-पद हजारों राजाओं का प्रस्थान- पद द्रुपद का आतिथ्य-पद द्रौपदी का स्वयंवर-पद द्रौपदी के द्वारा पाण्डव का वरण-पद पाणिग्रहण-पद पाण्डुराज का निमन्त्रण-पद पाण्डुराज का आतिथ्य-पद कल्याणकार पद नारद का आगमन - पद नारद का अवरकंका-गमन-पद द्रौपदी का संहरण पद द्रौपदी का चिन्ता-पद पद्मनाभ का आश्वासन पद द्रौपदी का गवेषणा-पद द्रौपदी का उपलब्धि पद पाण्डवों सहित कृष्ण का प्रयाण पद कृष्ण का देवाराधना-पद कृष्ण द्वारा मार्ग याचना-पद कृष्ण द्वारा दूतप्रेषण-पद पद्मनाभ द्वारा दूत का अपमान पद दूत का पुनः आगमन-पद पद्मनाभ का पाण्डवों के साथ युद्ध-पद पाण्डवों का पराजय-पद पद्मनाभ का शरण-पद द्रौपदी और पाण्डवों सहित कृष्ण का प्रत्यावर्तन-पद वासुदेव युगल का शंख - शब्द से मिलन- पद कपिल द्वारा पद्मनाभ का निर्वासन पद अपरीक्षणीय का परीक्षा-पद कृष्ण द्वारा पाण्डवों का निर्वासन पद पाण्डु-मथुरा का स्थापना-पद पाण्डुसेन का जन्म-पद पाण्डवों और द्रौपदी का प्रव्रज्या पद Jain Education International सूत्र "" 33 33 17 " " गाथा व सूत्र १३१ "" 37 17 "1 "" 11 "" 33 "" 33 "1 " "" "" 37 " २४३-२४४ २४७-२५१ २५२-२५३ कृष्ण द्वारा पराजय- हेतु कथनपूर्वक युद्ध-पद” २५४-२५६ पद्मनाभ का पलायन-पद २६० कृष्ण का नरसिंह रूप पद " " " 17 " "" " १३२-१३५ १३६ - १४१ १४२-१४४ 27 १४५ १४६ 27 = २६८-२७७ ३४६ २७८-२८० ३५० "" २८१-२८८ ३५१ २८-३०२ ३५२ ३०३ ३५४ ३०४-३०६ ३५४ ३१०-३१७ ३५५ २४५ २४६ (xxii) १४७-१५२ ३२८ १५३-१६३ ३२६ १६४-१६६ ३३१ १६७-१६६ ३३२ १७०-१७१ ३३२ १७२-१८० ३३३ १८१-१८३ ३३४ १८४ - १६० ३३४ १६१-२०० ३३५ २०१-२०६ ३३७ २०७ ३३८ २०८-२११ ३३८ २१२-२२५ ३३८ २२६-२३२ ३४१ २३३-२३६ ३४२ २३७-२३८ ३४२ २३-२४२ ३४३ ३४४ ३४४ ३४५ ३४५ ३४६ ३४६ ३४७ २६१-२६२ ३४७ २६३-२६५ ३४८ २६६-२६७ ३४८ पृष्ठ ३२३ ३२४ ३२५ ३२६ ३२७ ३२७ अरिष्टनेमि का निर्वाण-पद पाण्डवों का निर्वाण पद द्रौपदी का देवत्व - पद निक्षेप - पद टिप्पण सत्रहवां अध्ययन : आकीर्ण उत्क्षेप-पद कालिकद्वीप-यात्रा-पद कालिकद्वीप में अश्व - प्रेक्षण-पद सांयात्रिकों का पुनरागमन-पद अश्वों का आनयन-पद अमूर्च्छित अश्वों का स्वायत्त - विहार- पद निगमन-पद मूर्च्छित अश्वों का परायत्त-पद निगमन-पद टिप्पण अठारहवां अध्ययन : सुंसुमा उत्क्षेप-पद दासपुत्र चितात का विग्रह-पद चिलात का घर से निष्कासन पद चिलात का दुर्व्यसन-प्रवृत्ति-पद चोर-पल्ली-पद चिलात का चोरपल्ली गमन-पद विजय का मृत्यु-पद चित्रात का चोर -सेनापतित्य-पद चिलात द्वारा धन के घर में चोरी - पद नगर-रक्षकों द्वारा चोर का निग्रह-पद चिलात का चोर -पल्ली से पलायन - पद निगमन-पद धन का सुंसुमा के लिए क्रन्दन-पद अटवी लंघन के लिए धन द्वारा पुत्री के मांस और शोणित का आहार पद निगमन-पद उन्नीसवां अध्ययन पुण्डरीक उत्क्षेप-पद कण्डरीक का प्रव्रज्या पद कण्डरीक का वेदना-पद कण्डरीक का चिकित्सा पद For Private & Personal Use Only गाथा व सूत्र सूत्र ३१८-३२२ "" ३२३-३२४ ३२५-३२६ ३२७ " " सूत्र १-४ "" ===== " " " 33 सूत्र १-५ "" "" 17 37 ३७४ ६-६ ३७४ १०-१५ ३७५ "१६-१७ ३७६ १८-२२ ३७६ २३-२५ ३७७ २६-२७ ३७७ ३७२ ३७८ ३८० ३८१ ४८ ३८१ ३८२ ३८२ " २८-३२ ३३-३८ " ३६-४३ " ४४-४७ "" " ५-१३ १४-१५ १६ १७- २३ २४ २५ २६-३५ ३६ " ४६-५० 11 13 ५१-५६ === ६० पृष्ठ ३५६ ३५७ सूत्र १-७ ३५८ ३५८ ३५६ ३६२ ३६२ ३६३ ३६४ ३६५ ३६७ ३६७ ३६७ ३६६ ३७२ ३८६ ८-१६ ३८६ " २०-२१ २२-२६ ३८४ ३८८ ३८८ www.jainelibrary.org

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