Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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समयार्थबोधिनी टीका प्र. श्रु. अ. १२ समवसरणस्वरूपनिरूपणम् २६७
छाया-नादित्य उदेति नास्तमेति, न चन्द्रमा वर्द्धते हीयते वा। सलिलानि न स्यन्दते न वान्ति वाताः, बन्ध्यो नियतः कृत्स्नो लोकः॥७॥
अन्वयार्थ:-सर्वशून्यतावादिनः-एवं कथयन्ति (आइच्चो) आदित्यः-पूर्यः (ण उएइ) न उदेति (ण अस्थमेइ) नास्तमेति च आदित्य:-सूर्यस्यापि मायामयस्वेन तदुदयास्तयोः कथं संभवः ! । (चंदिमा) चन्द्रमाः (ण वडई) शुक्लपक्षे न वर्द्धते (वा) वा-अथवा (न हायई) कृष्णपक्षे न हीयते पुनश्च (सलिला) सलिलानि-जलानि (न संदति) न स्यन्दन्ते तथा (वाया) वाताः-वायवः (न वंति) न बान्ति-न चलन्ति अत एव (कसिणे लोए) कृत्स्नो लोका-कृत्स्नः संपूर्णो लोका
'णाइच्चो' इत्यादि।
शब्दार्थ-सर्वशून्य मतवादी कहते हैं 'आइच्चो-आदित्यः' सूर्य ण उएइ-न उदेति' उदित नहीं होता है 'ण अस्थमेइ-नास्तमेति' और न अस्त होता है। इसी प्रकार 'चंदिमा-चन्द्रमा' चंद्रमा 'ण वडा -न वर्द्धते' शुक्लपक्ष में बढतानही है 'वा-अथवा' अथवा 'न हायइन हीयते' कृष्ण पक्ष में घटता नहीं है तथा 'सलिला-सलिलानि' जल 'न संदंति-न स्यन्दते' बहता नहीं है तथा 'वाया-वाताः' वायु-पवन 'ण वंति-न वांति' चलता नहीं है अतएव 'कसिणे लोए-कृत्स्नो लोका' यह सम्पूर्ण लोक-माने जगत् 'नियतो-नियतः' सर्वदा अवस्थायी है 'वंझो-वन्ध्यो' मिथ्याभूत वस्तुतः शून्यरूप है ॥७॥ ___अन्वयार्थ-सर्वशन्यतावादियों का कथन है कि-सूर्य उदित नहीं होता, न अस्त होता है । न चन्द्रमा बढता है, न घटता है। न जल
'णाइच्चो' त्या
शाथ-सब शून्य मतने मनुसनारामा ४ छ -'आइच्चोआदित्यः' सूर्य 'ण उएइ-न उदोत' गते नथी. 'ण अत्थमेइ-नास्तमेति भने तेरा मस्त ५५ यता नथी. 20 प्रमाणे 'चदिमा- चन्द्रमा' य' 'न वढइ-न वर्धते' शुस ५क्षम पता नथी. 'वा-वा' ५२१'न हायइ-न हीयते' ३०॥ पक्षमा घटता नथी. तथा 'सलिला-सलिलानि' ५ 'न संदति-न स्यन्दते' पतु नथी. तथा 'वाया-वाता' ५वन 'ण वंति-न वान्ति' वात नथी तथा 'कसिणे लोए-कृत्स्नो लोकः' मा समय से अर्थात् गत 'नियतो-नियतः' सहा २७वावा छे. 'वंझो-वन्ध्यो' भिथ्याभूत छ अर्थात शून्य ३५ छ. ॥७॥
અન્વયાર્થ–સર્વશૂન્ય વાદિનું કથન છે કે-સૂર્યને ઉદય થતું નથી. તેમ અસ્તપણ થતું નથી. ચંદ્રની વધ ઘટ પણ થતી નથી. જલ વહેતું
श्री सूत्रकृतांग सूत्र : 3